सूरज का भ्रूण! – कुसुम अशोक सुराणा : Moral Stories in Hindi

Post View 538 भोर की आहट के साथ ही स्वरा ने गुदढी को दूर फेका और वह नित्य कर्म से मुक्त हो कर गुसलखाने की ओर बढ़ गई! कड़कड़ाती ठंड में भी वह बर्फ से ठंडे पानी से नहाई और बालों को झटक कर सूखाने लगी! घुंघराले बालों की लटों से मानों ओस की बुंदे … Continue reading सूरज का भ्रूण! – कुसुम अशोक सुराणा : Moral Stories in Hindi