संघर्षरत बेटी –  मुकुन्द लाल

Post View 1,758  सपना सजने-धजने और अपनी औकात के अनुसार मामूली संसाधनों से अपना श्रृंगार करने में ऐसा मशगूल हो गई कि उसे पता ही नहीं चला कि साहब के निवास में पहुंँचने में मात्र घंटे-भर ही बचे हैं।   जब निर्धनता की चक्की में पिस रहे उसके परिवार को दो वक्त की रोटी पर भी … Continue reading संघर्षरत बेटी –  मुकुन्द लाल