सम्मान की सूखी रोटी : प्रतिमा श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi
Post View 9,528 पापा जी!” जो कुछ बना है चुपचाप खा लिया करिए।ये रोज – रोज आपके नखरे उठाने के लिए मैं नहीं बैठीं हूं…एक तो दिन भर काम करो ऊपर से इनके नखरे झेलो… कविता बड़बड़ाती हुई कमरे से बाहर निकल गई। सुबह के नाश्ते का वक्त था और कविता ने कड़क सी थोड़ी … Continue reading सम्मान की सूखी रोटी : प्रतिमा श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi
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