Post View 1,285 सूरज बाबू सरकारी दफ्तर में क्लर्क थे। माता-पिता और पत्नी सुलेखा के साथ रहते थे। शादी के दस साल हो गये, पर आँगन किलकारियों से वंचित रहा। पोते- पोती को तरसते माता पिता क्रमशः अंतिम यात्रा पर चले गये। आस-पड़ोस और परिचितों ने बच्चा गोद लेने की बात कही। कई बार जाकर … Continue reading सहारा – पुष्पा पाण्डेय
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