*सच हुए सपने मेरे* – सोनिया मेहता
Post View 1,385 #ख़्वाब एक ज़माना था जब माँएँ बेटों की ही चाह करती थी। एक कुलदीपक ही वंश को तार सकता है। जन्मदात्री का मानो कोई रोल ही नहीं। कौशल्या व देवकी नहीं होती तो राम व कृष्ण कैसे होते ? बालसुलभ रुचियों का, ख़्वाबों का भी एक अनोखा संसार है। नए सपने … Continue reading *सच हुए सपने मेरे* – सोनिया मेहता
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