सात फेरों के सातों वचन – कंचन शुक्ला

Post View 9,356 अद्वैता की इक्यावनवी सालगिरह थी कल। रात से भोर तक उसका मन अनमना था। उसके कानों में बार बार समन्वय का “सॉरी माफ कर दो” गूँज रहा था। पर उसे ऐसा लगा, मानो धरती फट जाए और वो उसमें समा जाए। वो उसका बार बार पूछना,” कहाँ कमी रह गई मुझसे??”, “तुम्हारी … Continue reading सात फेरों के सातों वचन – कंचन शुक्ला