रिश्तों के गुच्छे – दीपा माथुर
Post View 10,660 अवि खिड़की से बाहर टकटकी सी लगाई बैठी थी। तभी सौरभ ने आवाज लगाई ” अवि खाने का टाइम हो गया यार अब तो खाना परोस दो।” अवि वहीं से चिल्लाई ” बस दो मिनिट “ सौरभ डाइनिंग टेबल पर बैठ गया अवि खाना परोस रही थी कि उसे याद आया ” … Continue reading रिश्तों के गुच्छे – दीपा माथुर
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