परिवार और पड़ोस का अंतर – सीमा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

Post View 75,031 “छोटी, सब्ज़ी और सलाद वगैरह सब तैयार हैं। ऐसा करते हैं कि तुम चपातियां बना दो, मैं सबको परोस देती हूं।” स्मृति ने प्यार से अपनी देवरानी मनीषा से कहा।  “वाह भाभी, कितनी चालाक हैं आप! ताकि मैं रसोई में खड़ी रहूं और बाहर आप सबको भ्रमित कर सकें कि खाना आपने … Continue reading परिवार और पड़ोस का अंतर – सीमा गुप्ता : Moral Stories in Hindi