परिवर्तित स्वरूप – कंचन शुक्ला

Post View 236 सोलह साल, कक्षा नौ की छात्रा लवलीन को, कमरे में रोता देख मम्मी ने, तुरंत वहाँ जाना उचित नही समझा। जैसे ही सिसकियों का सिलसिला कुछ देर में धीमा हुआ, नॉक कर वह अंदर दाखिल हुईं। सहसा उन्हें वहाँ देख, लवलीन सतर्क हो गयी। विषय के मद्देनजर, किसी सकारात्मक वार्तालाप की आशा … Continue reading परिवर्तित स्वरूप – कंचन शुक्ला