पैसे का गरूर – मुकुन्द लाल : Moral Stories in Hindi

Post View 973   सर्विस के लिए कई वर्षों तक भटकने, लिखित प्रतियोगी परीक्षाओं में असफल होने और साक्षात्कार की खानापूर्ति में शामिल होते-होते जब प्रणव थक गया तो उसके पिता जटाधार ने कह दिया कि तुम्हारी किस्मत में नौकरी नहीं है। उसकी शादी की उम्र भी निकलती जा रही थी इसलिए उसने उसकी शादी कर … Continue reading पैसे का गरूर – मुकुन्द लाल : Moral Stories in Hindi