Post View 1,191 समय अपनी गति से चल रहा था।सबकुछ नियति के हाथों में है। आकाश में चांद रजत थाल के समान लटका हुआ है…उज्जवल धवल चांदनी चहुंओर फैली हुई है…गंगा के आंखों में सूनापन…नींद कोसों दूर थी । भविष्य का पता नहीं….बेमुरव्वत वर्तमान… और अतीत में उलझा बावडा़ मन। बाल-विधवा …मूंगा.. न नैहर में … Continue reading निर्मोही – डाॅ उर्मिला सिन्हा
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