नई उम्मीद

Post View 240 संचिता बड़े-बड़े कदमों से तेज-तेज चलने लगी…आज कोई आटों नहीं मिला पैदल ही घर जा रही थी रात के नौ बजने वाले थे रास्ता सुनसान था…दिसंबर था तो ठंड भी बहुत थी…!!!!    तभी चार नौजवान सामने से आते दिखें…अच्छे लग रहे थे देखने में तो…थोड़ी देर बाद संचिता और वो चारों आमने-सामने … Continue reading नई उम्मीद