नचनिया: – मुकेश कुमार (अनजान लेखक)

Post View 7,480 जब वो नाचती तब लगता ही नहीं की उसके शरीर में हड्डी का एक टुकड़ा भी है। वो जहाँ भी जाती सारे पुरुष दर्शक मंत्रमुग्ध हो जाते। पुरुष तो उसके रुप पर मोहित हो ही जाते स्त्री भी उसके रुप से जलने लगती। लंबे घुंघराले कमर तक लटकते बाल, सुराहीदार गर्दन, मुट्ठी … Continue reading नचनिया: – मुकेश कुमार (अनजान लेखक)