मैं जिंदगी का साथ निभाता चला गया। – पूनम भटनागर। : Moral Stories in Hindi

Post View 710  विशाखा कहां खोई है, चल बस का समय हो गया है, लेट पहुंचे तो सही से खड़े होने को भी जगह नहीं मिल पाएगी। आंहां, चल अलसाई सी विशाखा उसका उत्तर देने लगी। और कहां खोई होगी, फिर राम के बारे में ही सोच रही होगी, क्यों सही कहा न मैंने, रीमा … Continue reading मैं जिंदगी का साथ निभाता चला गया। – पूनम भटनागर। : Moral Stories in Hindi