माँ की पीड़ा – दीपनारायण सिंह

Post View 220 आज सुबह से ही उसकी आँखे नम थी वो किसी पीड़ादायी सोच में डूबी अपनी दैनिक क्रियाएँ निपटा रही थी।कल तक जो चरण चपल जान पड़ते थे,आज पता नहीं क्यों लड़खड़ा रहे थे।आज उसके हाथ से आँचल के छोर छूट नहीं रहे थे।कोई निकलते आँसू को देख न ले,इसीलिए पसीना पोछने के … Continue reading माँ की पीड़ा – दीपनारायण सिंह