Post View 613 अक्षरा, तुम्हारे जाने के बाद बहुत अकेला हो गया हूँ। तुम क्या गयी जैसे……जिंदगी ही चली गयी। सच है, जब तक तुम करीब थी, तुम्हारी अहमियत नही समझ पाया । बहुत लड़ा हूँ अपने अपने अहम से, अब थक गया हुं अक्षरा । मैं नही जानता मैं इस योग्य हुं कि नही, … Continue reading कोमल मन – भगवती सक्सेना गौड़
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