Post View 195,831 जब भी सत्येंद्र दफ्तर में ड्यूटी समाप्त कर साईकिल से डेरे की ओर लौटता तो रास्ते में हमेशा वह सशंकित रहता कि आज न जाने कौन सा लफड़ा हुआ होगा डेरा में। कभी पानी, कभी बिजली, कभी बच्चों के लङाई-झगङे, कभी नाली की सफाई, कभी बाथरूम की गन्दगी… आदि पर अक्सर विवाद … Continue reading ख्वाहिशें – मुकुन्द लाल
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