करमजली – निभा राजीव निर्वी : Moral Stories in Hindi
Post View 40,864 काम पर जाते हुए करुणा जैसे ही गली के मुहाने पर सखाराम हलवाई की दुकान के सामने से निकली, उसके कानों तक फुसफुसाता हुआ एक स्वर पहुंचा, “-लो..निकल पड़ी करमजली! लोक लाज को तो घोल कर पी गई है..” वह स्वर से ही पहचान गई कि ये सखाराम की पत्नी केतकी का … Continue reading करमजली – निभा राजीव निर्वी : Moral Stories in Hindi
Copy and paste this URL into your WordPress site to embed
Copy and paste this code into your site to embed