कहीं कोई फाँस  चुभा है दिल में – कंचन श्रीवास्तव 

Post View 267 वर्षों बाद दहलीज के भीतर कदम रखते ही रेखा ने देखा सब अनमने से थे।ऐसा नहीं कि चाय नाश्ता ,खाना नहीं कराया सब कराया पर पहले जैसा उसके पहुंचने पर लोगों में उत्साह ,जोश और अपनापन नहीं मिला। खैर कोई नहीं, वक्त हमेशा एक सा नहीं रहता,जब लोग बदलते है तो बात … Continue reading कहीं कोई फाँस  चुभा है दिल में – कंचन श्रीवास्तव