का सन्ग खेलूं होली – रवीन्द्र कान्त त्यागी : Moral Stories in Hindi

Post View 1,633 “इस बार होली पर हम अपने गांव जाएंगे नलिनी।” समर ने ऑफिस से लौटते ही पत्नी से कहा। “गांव… कैसा गांव। समर तुमने तो कहा था कि गांव में अब हमारा कोई नहीं है। ना कोई नाते रिश्ते वाला। ना कोई संपत्ति न जमीन।” “हां मगर गांव तो है ना। और यादें … Continue reading का सन्ग खेलूं होली – रवीन्द्र कान्त त्यागी : Moral Stories in Hindi