जीवन संध्या – मधु श्री

Post View 565 दिसंबर का महीना था,सुधा घर का सारा काम निपटा कर धूप में आकर बैठ गई। आज बालकनी में इतनी धूप नहीं थी जितनी तेज हवा चल रही थी। हल्की हल्की कोहरे की धुंध भी थी फिर भी धूप का हल्का सा सेंक अच्छा लग रहा था।मनोज को आफिस भेज कर सुधा थोड़ा … Continue reading जीवन संध्या – मधु श्री