इस्तीफ़ा – रंजना बरियार

Post View 609 चाँद खिड़की से झाँक रहा है… मानों उसका चाँद उसकी आँखों में झाँक कर कह रहा हो..’उठ सुमी यहाँ क्या कर रही? चलो, चाँद के उस पार चलें’… नहीं , ये तो मेरा चाँद नहीं.. ये मौन है.. शीतलता देता है.. पर साथ चलने को नहीं कहता…पर मेरा चाँद तो शीतलता देता … Continue reading इस्तीफ़ा – रंजना बरियार