फिर कब मिलोगे – रीमा महेंद्र ठाकुर 

Post View 237 वो नजरें चुरा रहा था, खनक “से पर खनक उसकी आंखों में कुछ तालाश रही थी, पर वो उससे कुछ छुपाने की कोशिश कर रहा था! उसकी खामोशी, खनक को चुभ रही थी!  अखिर ऐसा क्या हुआ था!  शिवा पहले तो ऐसा न था, खनक के सीने में कुछ दहक रहा था! … Continue reading फिर कब मिलोगे – रीमा महेंद्र ठाकुर