दूसरा पड़ाव – रवीन्द्र कान्त त्यागी : Moral Stories in Hindi

Post View 1,745 शाम के पाँच बजे ही आसमान में एकदम अंधेरा सा छा गया था। लगता था तेज आंधी या बरसात आने वाली है। घुमड़ घुमड़कर काली घटाएँ आसमान पर चढ़ी जा रही थीं। पंछियों के झुंड किसी आपदा की सी आशंका से समूह बनाकर आकाश में उड़ान भरने लगे थे। “एक रोटी और … Continue reading दूसरा पड़ाव – रवीन्द्र कान्त त्यागी : Moral Stories in Hindi