द्रोण – विनय कुमार मिश्रा

Post View 280 “प्रकाश सर का घर यहीं है क्या?” कौन प्रकाश? यहां तो इस नाम का कोई नहीं रहता बाबू” वो चारो लगभग सत्ताईस अठाइस साल के युवक, चमचमाती हुई बड़ी गाड़ी खड़ी कर कुछ सोचने लगे। उन चारों ने एक तस्वीर दिखाई मुझे। “ये जो बीच में हैं, हम इन्हें ही ढूंढ रहे … Continue reading द्रोण – विनय कुमार मिश्रा