दर्द भरी आह !” – -गोमती सिंह

Post View 306 -जनवरी का महीना था सुबह के लगभग 6 बज रहे थे , यानि कि एकदम कंपकपाती ठंडी का मौसम।  लेकिन मौसम चाहे जैसा भी हो दैनिक जागरण तो निर्धारित समयानुसार हो ही जाता है।          नीलम भी काॅलेज जाने की फिक्र में बिस्तर छोड़कर मेन गेट के पास सूर्योदय का आनंद ले … Continue reading  दर्द भरी आह !” – -गोमती सिंह