छाँव के साथ एक टुकड़ा धूप ” – रंजना बरियार
Post View 1,071 “ज़िन्दगी मेरी धूप,तुम घना साया..” सारंगा,सुश्वी को देखते ही उसे सुनाकर अपने दिल का उद्गार व्यक्त करने की कोशिश करता..एक ही कम्पनी में काम करते करते दोनो आपस में थोड़े बेतकल्लुफ़ तो थे, फिर भी बहुत समय तक सुश्वी, सारंगा की भावनाओं को नहीं समझने का नाटक करती रही थी…पर प्यार, ख़ुशी … Continue reading छाँव के साथ एक टुकड़ा धूप ” – रंजना बरियार
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