छाती पर जमा दुख – सरिता गर्ग ‘सरि’
Post View 417 मैं समझती थी प्रेम में स्त्रियाँ ही दुख भोगती है, व्याकुल होती हैं, रोती या तड़पती हैं ,पर सच तब जाना जब उसे देखा। न जाने क्या था उसमें , मेरी सखी राखी उससे लिपटी रहती थी। वो अचानक दुनिया से चली गई । उससे बिछड़ कर वह पात विहीन ठूँठ -सा … Continue reading छाती पर जमा दुख – सरिता गर्ग ‘सरि’
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