“भरोसा” – दुर्गेश खरे

Post View 16,507 मंगला बड़े मनोयोग से स्टील के डिब्बे में अपने हाथों से बनाए हुए गोंद के लड्डुओं को सजा कर रख रही थी और साथ में अपने पति को चेतावनी भी दे रही थी, “ रामू के बाबू ! गाय के घी का डिब्बा थैले में अभी रख लेना, कहीं सबेरे जल्दी में … Continue reading  “भरोसा” – दुर्गेश खरे