बेहतर – मधुसूदन शर्मा

Post View 5,764 हर नौकरी पेशा की सुबह लगभग एक जैसी ही होती है। उठते ही एक कप चाय, फिर प्रातः कर्मों से निवृत्ति, अंत में नाश्ता कर, तैयार हो ऑफिस के लिए भागा दौड़ी। मैं भी कोई अपवाद नहीं हूं। “साहब जी !  जूते पॉलिश कर दिए हैं।” डाइनिंग टेबल से नाश्ता कर उठते … Continue reading बेहतर – मधुसूदन शर्मा