बसेरा – वीणा

Post View 269 सुबह से ही हॉस्टल के दो चक्कर लगा चुका था वह,पर कमरे के दरवाजे पर लगा ताला मानो उसे मुँह चिढ़ा रहा था। चौकीदार से भी वह दो तीन बार पूछ चुका था। आखिर में कहाँ गई ज्योति? रह रह कर सूरज के मन में एक ही बात आ रही थी।कल शाम … Continue reading बसेरा – वीणा