बहु नहीं बेटी – गीता वाधवानी 

Post View 295 पिताजी की तेरहवीं वाले दिन उनके दोनों बेटे नीरज और धीरज बात कर रहे थे कि मां अब गांव में अकेली कैसे रहेगी?      दोनों बहुएं चुपचाप बातें सुन रही थी। तब मां ने कहा-“मेरे बच्चो, तुम परेशान मत हो। मैं अकेली रह लूंगी। मैं अपनी देखभाल भली-भांति कर सकती हूं।”        दोनों बेटों … Continue reading बहु नहीं बेटी – गीता वाधवानी