बदलते रिश्ते (भाग-7) – अंबिका सहगल : Moral stories in hindi
Post View 10 घर आकर मैं उसे सीधे अपने कमरे में ले गई। मैंने उसको बिठाया और बोलना शुरू किया, “कल की बात को कब तक दिल से लगा कर रखेगी? जिसमें तेरा कोई कसूर नहीं शरम तोह उनको आनी चाहिए, बस सब भूल जा”। उर्मि रोने लगी वोह बोली “तपु मुझे ध्यान रखना चाहिये … Continue reading बदलते रिश्ते (भाग-7) – अंबिका सहगल : Moral stories in hindi
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