अस्तित्व – संजय मृदुल अग्रवाल : Moral Stories in Hindi

Post View 1,379 मुझे किसी से कोई फर्क नही पड़ता। तुम हो या और कोई, समझे।  जी, मैंने सर झुकाए हुए कहा और अपने शरीर को धकेलते हुए कमरे से बाहर ले आई। पलकें नम हो रही थी और ऐसा लग रहा था चीख चीख कर रोऊँ।  क्यों ऐसा होता है कि आप किसी को … Continue reading अस्तित्व – संजय मृदुल अग्रवाल : Moral Stories in Hindi