ज़िंदगी-सुख दुःख का संगम। – रश्मि सिंह

सावित्री- सुनिए! राशि के पापा, राशि की दिखायी घर पर ना कराकर किसी मंदिर में कराए।

राजेश जी- हाँ ये सही है, पर पहले राशि को तो तैयार करो चलने के लिए।

राशि कमरे में आते ही- मैं किसी से मिलने नहीं जाऊँगी।

सावित्री-बस इस बार चल मेरी गुड़िया रानी, और अबकी बार तू अपने हिसाब से साधारण तरीक़े से तैयार होना।

राशि- मेरे जैसी साधारण लड़की को कोई पसंद नहीं करेगा। सबको आजकल ताम-झाम वाली लड़कियाँ ही पसंद आती है।

सावित्री- लड़का भी साधारण है, मिल तो ले एक बार।

राजेश जी- लड़के वालों का फ़ोन आया था इस रविवार को गणेश जी के मंदिर में दिखायी है।

राशि- अच्छा। मेरे गनु का मंदिर, फिर तो मैं चल दूँगी।

रविवार को राजेश जी, बिटिया और पत्नी के साथ मंदिर पहुँचते है।

राजेश जी (फ़ोन पर)- आलोक जी (लड़के के पिता) आप लोग कब तक आएँगे? हम लोग मंदिर पहुँच चुके है।

आलोक जी (लड़के के पिता)- हम लोगों को थोड़ा लेट होगा, घर पर कुछ मेहमान आए है।

राजेश जी- ठीक है हम प्रतीक्षा कर रहे है। एक घंटा व्यतीत हो गया पर अभी तक कोई नहीं आया।

राशि-मम्मी चलो अब। इतना भी कोई इंतज़ार कराता है, हम लड़की वाले है तो क्या बेवक़ूफ़ों की तरह उनकी राह निहारे।

राजेश जी- थोड़ी देर और देख लेते है फिर निकलते हैं।

थोड़ी देर में आलोक जी अपनी पत्नी और बेटे के साथ पहुँचते है।

उन्हें देखकर राजेश जी और सावित्री के जान में जान आती है।

सब मंदिर में प्रवेश करते है। राशि सबसे पहले अपने सिर पर दुपट्टा रख गनु को प्रणाम कर मोदक चढ़ाती है।

ऐसे संस्कार देख आलोक मन ही मन बहुत प्रसन्न होते है पर लड़का-लड़की एक दूसरे को पसंद कर लें, फिर कोई निर्णय लिया जाए।

राशि सबको प्रसाद देती है फिर सब पास के पार्क में जाते है ।

आलोक- राजेश जी, बच्चे थोड़ा आपस में बातचीत कर ले तो ठीक रहेगा।

राजेश जी- राशि बेटा जाओ राजीव से बातचीत कर लो।

राजीव और राशि दोनों पार्क के दूसरी तरफ़ बैठते है।

राजीव-मुझे आपसे कुछ नहीं पूछना बस ये कहना है कि आप अपना घर सम्भालो आकर। मुझे आपकी सादगी बहुत पसंद आयी।

राशि ये बात सुनकर बहुत खुश होती है। दोनों कुछ देर बाद वापस अपने परिवार के पास जाते है।




आलोक- राजीव बेटा, फिर रिश्ते को हाँ कर दी जाए। आलोक बेटे के चेहरे पे मुस्कान देखकर उसके मन की बात जान जाते है। दोनों तरफ़ से रिश्ते की स्वीकृति हो जाती है।

आलोक-फिर सगाई में मिलते है राजेश जी।

राजेश जी-जो आज्ञा आपकी 🙏🏻🙏🏻

कुछ दिन बाद राजीव की माँ का फ़ोन आया और उन्होंने राजीव को राशि से बात करने को कहा।

राजीव-कैसी है आप ?

राशि- ठीक हूँ मैं।

राजीव- मेरा नंबर ले लीजिए और मुझे ह्वाट्सऐप पर मैसेज करिएगा।

राशि शर्मा जाती है क्योंकि ये सब उसके लिए बहुत नया था। राशि ज़रूर खुले विचारों की थी पर अपने संस्कारों से हमेशा बंधी रही।

सावित्री- राजीव को मैसेज कर अपना नम्बर दे देना।

राशि उस दिन कोई मैसेज या कॉल नहीं करती है।

अगले दिन शिवरात्रि होती है तो सोचती है ये दिन अच्छा है बात करने का। वो अपने नंबर से हैप्पी शिवरात्रि का मैसेज करती है।

फिर दोनों की बातों का सिलसिला शुरू हो जाता है। राजीव एक दिन राशि को बाहर मिलने को कहता है पर राशि ये कहकर माना कर देती है कि अभी हमारी सगाई भी नहीं हुई है ऐसे मिलना ठीक नहीं। अगर आपको बुरा ना लगे तो हम सगाई के बाद मिले।

राजीव को उसका जवाब थोड़ा उदास ज़रूर करता है पर दूसरी तरफ़ वो खुश था कि आजकल राशि जैसी लड़कियाँ मिलना मुश्किल है।

राजीव को आज उस पर बेहद प्यार आ रहा था पर राशि किसी भी तरह के भाव से शून्य थी।

सगाई की तिथि सुनिश्चित हुई पर राशि के मन में किसी भी तरह की उथल-पथल नहीं थी, क्योंकि उसे प्यार शब्द का मतलब समझ नहीं आया था।

सगाई से कुछ दिन पूर्व राजीव की ड्यूटी चुनाव में लग गई।

राजीव- राशि अभी दो दिन बात नहीं हो पाएगी, अपना ध्यान रखना।




आधा दिन ही बीता था कि राशि को राजीव की कमी खलने लगी, उसे ख़ुद नहीं समझ आ रहा था वो क्या करें।

तीन दिन गुजर गये राजीव ने ना कॉल किया ना मैसेज। राशि से रहा नही जा रहा था उसने राजीव को कॉल किया उसका फ़ोन बंद बता रहा था।

राशि बहुत बैचैन हो गई क्योंकि राजीव कभी भी फ़ोन बंद नहीं करता है। उसके मन में ग़लत ख़्याल आने लगे। सुबह से शाम, शाम से रात हो गई पर राजीव की कोई खबर नही। राशि का रो रोकर बुरा हाल था, जब उससे रहा नहीं गया तब उसने अपनी माँ से राजीव के घर फ़ोन करने को कहा।

राशि के पापा ने राजीव के घर बात की तो पता चला राजीव का फ़ोन ख़राब हो गया है। राशि को ये सुनकर राहत मिली पर उसे ग़ुस्सा भी आ रहा था कि राजीव किसी दूसरे के फ़ोन से बात कर बता नहीं सकते थे।

आज उसे पहली बार लगा कि शायद उसे भी राजीव से प्यार हो गया है। आज पड़ोस में बज रहा ये संगीत उसे बहुत रोमांचित कर रहा था-

प्रीत की लत मोहे ऐसी लागी

हो गई मैं मतवारी

बल बल जाऊं अपने पिया को

के मैं जाऊं वारी वारी

मोहे सुध बुध ना रही.… तन मन की

ये तो जाने दुनिया सारी

बेबस और लाचार… फिरू मैं

हारी मैं दिल हारी

हारी मैं… दिल हारी।

आज राशि का विवाह है राजीव के साथ। एक तरफ़ इतना प्यारा हमसफ़र मिलने की ख़ुशी दूसरी तरफ़ अपने पीहर को छोड़ने का दुःख। आज उसे सच में लग रहा है #ज़िंदगी सुख दुःख का संगम है।

आदरणीय पाठकों,

ज़िंदगी का सफ़र ऐसा है कि कोई ये नहीं बता सकता कि अगले पल क्या हो जाए। हँसते-हँसते कब इंसान को रोने का कारण मिल जाएँ, इसलिए अपने हर ख़ुशी के पल को दिल खोलकर जियो, और दुःख में भी अपने संयम और आत्मविश्वास के साथ उससे बाहर निकलकर फिर अपने आपको ख़ुशियों की तरफ़ मोड़ लो। ज़िंदगी आपकी है, और आपकों ही निर्णय लेना है, कि इसे कैसे जीना है। अगर आप हमेशा दुखी रहेंगे तो आपसे लोग दूरी बनाए रखेंगे और अगर आप हर स्थिति में खुश रहते है तो आपके पास दोस्तों का अच्छा-ख़ासा जमावड़ा होगा। अंत में कुछ पंक्तियाँ ज़िंदगी के नाम-

ज़िंदगी का फ़लसफ़ा खुश रहने में है,

दुखों और तकलीफ़ों को ज़ोरदार मात देने में है।

आओ मिलकर ज़िंदगी का मधुर तरन्नुम गाएँ,

ईश्वर की दी हुई नेमत के लिये शुक्र मनाएँ।

ज़िंदगी के मंच पर बेहतरीन किरदार निभाएँ,

दूसरों के लिए अनोखी मिसाल बन जाएँ।

आशा है कि आपको मेरी रचना पसंद आयी होगी, तो कृपया रचना को लाइक, कमेंट और शेयर करना क़तई ना भूलें🙏🏻🙏🏻

स्वरचित एवं अप्रकाशित।

रश्मि सिंह

#ज़िंदगी

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