“ माँ इससे कह दो… ये मुझसे दूर ही रहे… कोई ज़रूरत नहीं है मेरे कमरे की सफाई करने की।“ आक्रोश में नितिन ने नित्या से कहा
नित्या घबराकर वहाँ से हट गई…जो अपने कमरे की सफ़ाई करने में व्यस्त थी
“ बेटा ये क्या तरीक़ा है बहू से बात करने का…तुम्हें नहीं लगता तुम कुछ ज़्यादा ही सख़्त हो रहे हो उसके साथ ?” सुनंदा जी ने नितिन सेकहा
“ माँ तुम कुछ नहीं जानती हो… तो प्लीज़ हमारे बीच में ना ही पड़ो तो अच्छा है ।” कहते हुए नितिन मेज पर रखे अपने बैग से लैपटॉपनिकाल कुछ काम करने लगा
“ बहू क्या बात हुई है तुम दोनों में… नितिन ऐसे बात बात पर यूँ आक्रोश में क्यों भर जा रहा है ।” सुनंदा जी ने नित्या से पूछा
नित्या कुछ ना बोली चुपचाप सोफे पर बैठी सुबकती रही।
कैसे नित्या बताएँ सास को ये सब बखेड़ा शुरू ही इन लोगों की वजह से हुआ है…. मात्र ब्याह कर लेने भर से … पत्नी का दर्जा दे देने भरसे थोड़ी ना दोनों जीवनसाथी बन कर जीवन व्यतीत कर सकते हैं…जब तक मन ना मिले… तन का मिलना ही पति पत्नी को परिभाषितकरता है क्या??
सगाई ठीक होने के बाद से ही नित्या अपने भावी जीवनसाथी के साथ रूमानी ख़्यालों मे में खोई रहती थी… सिनेमा का रोमांस औरसखियों से सुने प्यार की बातों का खुमार उसके सिर पर चढ़ने लगा था….. वैसे नित्या को ज़्यादा दिखावा पसंद नहीं थी पर शादी कोलेकर उसके बड़े ख़्वाब थे….
शादी से पहले बहुत बार नित्या ने पूछा हम हनीमून पर कहाँ जा रहे हैं… पर नितिन टाल जाता कहता पहले शादी कर घर तो आओ फिरप्रोग्राम बना लेंगे…. अब ज़िन्दगी भर साथ ही तो रहना है… घुमते रहेंगे ।
शादी के बाद सारे रस्म निपट गए…कुछ दिन बाद जब नित्या ने नितिन से पूछा,“ बताओ ना हम कहाँ जा रहे हैं तुमने कोई सरप्राइज़प्लान कर रखा है क्या… ?”
“ हाँ नित्या हम सब साथ में शिमला और कुल्लू मनाली जाएँगे ।” नितिन ने नित्या का हाथ प्यार से पकड़कर बोला
“ हम सब मतलब ?” नित्या आश्चर्य से पूछी
“हाँ पूरा परिवार… बहुत दिनों से कोई भी कहीं नहीं गया है…. अब ऐसे में हम अकेले जाएँगे अच्छा नहीं लगता है ना…. माँ भैया भाभीऔर बहन के साथ चलेंगे… बहुत मज़ा आएगा…सालों बाद हम सब कही घुमने जाएँगे ।” नितिन ने कह तो दिया पर नित्या के चेहरे परजो भाव आए वो अँधेरे में नितिन नहीं देख सका।
ये सुन कर नित्या थोड़ी संयत हो बोली,“हम हनीमून पर जाने वाले ना नितिन फ़ैमिली ट्रिप पर तो नहीं ना… और ये क्या बात हुई माँ औरभैया भाभी को भी ले जाना और वो लोग तैयार भी हो गए?” नित्या आश्चर्य से पूछी
“ अभी किसी को कुछ नहीं बताया है पहले तुम्हें बता रहा हूँ फिर सबको सरप्राइज़ दूँगा ।” नितिन परिवार के प्रति अपने मोह में बोलगया
“ नितिन फिर मुझे नहीं जाना… आप लोग घूम आइए…. शादी के बाद सबका मन करता है अकेले में कुछ वक़्त साथ में बिताए पर यहाँतो आप पूरी फ़ौज लेकर जाना चाहते है ।” ग़ुस्से में कहकर नित्या करवट ले सो गई
कुछ दिन तक नितिन नित्या को मनाने की कोशिश करता रहा पर वो इसके लिए खुद को तैयार कर ही नहीं पा रही थी…..औरपरिणामस्वरूप नितिन नित्या से चिढ़ रहा था बात बात पर उसे ताने दे रहा था ।
नित्या ये सब सोच ही रही थी कि उसकी माँ का फ़ोन आ गया
” क्या हुआ बेटा कही घुमने नहीं गए तुम दोनों…. हमने कितना पूछा दामाद जी से कहाँ जाना बता देते तो हम टिकट करवा देते…. पर वोकहते हम चले जाएँगे मम्मी जी आप चिन्ता ना करें ।” माँ सुमिता जी ने कहा
“ माँ कोई अपने हनीमून पर पूरे परिवार के साथ जाता है क्या…. नितिन को कुनबे के साथ जाना इसलिए तो आपकी बात नहीं मानीऔर मुझे सबके साथ जाने में सहूलियत नहीं हो रही मैंने मना कर दिया तो ग़ुस्सा कर बैठे हैं…. इतना आक्रोश की मुझे लग रहा मैंआपके पास आ जाऊँ…. किसी से कुछ कह भी नहीं सकती।” नित्या ने कहा
“ ये क्या बात हुई …. अरे परिवार को साथ ले जाना तो वो बाद में भी जा सकते है…अभी तुम्हारे साथ चले जाते… मैं बात करूँ?” सुमिता जी ने कहा
“ नहीं माँ … बिल्कुल नहीं….मैं नहीं चाहती किसी के कहने पर वो जाए… जब मन ही नहीं तो मैं भी नहीं जाऊँगी।” नित्या ने बात ख़त्मकर फोन रख दिया
इधर ये सारी बातें सुन सुनंदा जी समझ गई बेटा बहू के बीच क्या चल रहा…. वो नित्या से छिपकर नितिन के पास गई और प्यार सेसमझाकर नित्या के साथ जाने के लिए नितिन को राजी कर दिया
दो दिन बाद नित्या नितिन के साथ घुमने चली गई जब लौट कर आई वो खुश नजर नहीं आ रही थी वजह इतना ही था कि नित्या नेनितिन की बात सुनी नहीं और नितिन माँ के कहने पर नित्या को लेकर तो चला गया पर एक दिन भी ना ठीक से बात किया ना उसकेचेहरे पर ख़ुशी दिखी…. नित्या ने बहुत कहा अगली बार जाएँगे ना सबके साथ अभी तो साथ में प्यार के पल गुजार लो पर नितिन कहाँये सब सुनने वाला था….आक्रोश में भरा वो पत्नी को भी समझने की कोशिश नहीं कर पा रहा था ।
समय के साथ इस बात ने इस कदर असर दिखाया कि अब नित्या कहीं जाने का नाम नहीं लेती …. परिवार की इज़्ज़त की ख़ातिरनितिन के उस आक्रोश को जज़्ब कर गई और अपनी ख़ुशी को दरकिनार….अब तो नितिन कभी बोल भी दे कही चलना है तो नित्या काजवाब ना होता है…. वो मायके जाकर सबके साथ घूम आती पर पति के साथ घूमना बंद कर दिया ।
कुछ लोग सच में इस कदर परिवार के प्रति समर्पित होते हैं कि वो अपनी पत्नी की छोटी सी खुशी भी नहीं समझ पाते …. आपको क्यालगता है यहाँ पर नित्या गलत था या नितिन..? कभी कभी बेवजह का आक्रोश अंदर तक छलनी कर देता है जो दिखाई नहीं देता परज़ख़्म गहरे दे जाता है ।
आपकी प्रतिक्रिया का इंतज़ार रहेगा ।
धन्यवाद
रश्मि प्रकाश
मौलिक रचना ©️®️
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