Thursday, June 8, 2023
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 जमीन तो बिकनी ही थी – नीलम नारंग

मोहना कनाडा से आई शमशेर की चिठ्ठी पढ़ कर गुरदित को सुना रहा था | गुरदित की आँखों में ख़ुशी और दुःख के आंसू एक साथ बह रहे थे | चिठ्ठी के  शब्द कम सुनाई दे रहे थे  अतीत की बातें ज्यादा याद आ रही थी | “शमशेर ओ शमशेर कहाँ है , यार तेरा दसवी का रिजल्ट आ गया ,ओ तू ताँ कमाल कारता 90 परसेंट नंबर आए है तेरे ,ओ कहाँ है तू ?” मोहना चिल्लाता चिल्लाता बेबे के पास रसोई में पहुँच गया | बेबे लाओ मुहँ मीठा कराओ शमशेर ने तो पुरे गाँव में वाह वाही करा दी | बेबे भी एक  गोंद का लडू मोहने को देते हुए दूसरा शमशेर को खिलाने के लिए बाहर पशुओं के बाड़े की ओर चल दी |

        शमशेर ने दिन रात मेहनत इसलिए की थी कि अगर उसके अच्छे नंबर आ गए तो वो चंडीगढ़ जाएगा पढ़ने |लेकिन पिता गुरदित की बात सुनकर उसे लगा उसके तो सपने हो गए स्वाहा | शमशेर को साफ साफ़ समझा दिया गया दो साल तो यहीं पास के गॉव में साइकिल पर जाकर ही पढ़ना पड़ेगा | इतने सीमित साधनों में तुम्हेँ पढ़ाया जा रहा है ये क्या कोई छोटी बात है |

           शमशेर ने साथ वाले गॉंव में दाखिला तो ले लिया पसंद के विषय ना मिलने पर पढ़ने में वो रूचि ना रही जो पहले थी | एक साल पूरा होते होते शमशेर की आदतें , सिद्दांत ,दोस्ती सब कुछ बदल गया | गुरदित भी इन बातों से अनभिज्ञ नहीं था पर सोच नहीं पा रहा था कि वो कहाँ गलत हो गया था और सब कुछ ठीक कैसे करे |पैसे की कमी के कारण उसने अपनी सुंदर फूल सी बेटी बसंतो  को भी गॉंव वालों के कहने में आकर जल्द ही डोली में बिठा दिया था | सोचा था अब लड़के को ढंग से पढ़ा लेगा | पर शमशेर का यह हाल देखकर उसका दिल बैठा जा रहा है और रास्ता सूझ नहीं रहा |

                          इन्हीं सब परेशानियों के बीच बसंतो आई अपने जेठ गगनदीप  के साथ जो कनाडा से आया हुआ था | बाप का उतरा चेहरा देखकर और भाई की सपनीली बातें सुनकर उससे कुछ छुपा ना रह सका | गगनदीप ने सलाह दी , “ बापू पंद्रह लाख तक का इंतजाम कर दो तो मैं शमशेर को अपने साथ ले जाऊंगा वहां काम में खप जाएगा तो नशा पता भी छोड़ देगा , बंदा बन जाएगा बंदा |” यही दो किले जमीन ही तो है मेरे पास बेच दूंगा तो मुझे तो दिहाड़ी ही करनी पड़ जाएगी |

       “ बापू आज बच्चे के लिए जमीन नहीं बेचोगे तो वो कल नशे के लिए बेच देगा | जमीन बचा कर भी क्या करोगे जब रोज बच्चे को तिल  तिल कर मरता देखोगे | जमीन तो बिकनी ही है बच्चे की ख़ुशी के लिए आज ही बेच दो | आपने भी काम ही करना है दूसरे के खेत में कर लेना और बापू कभी तो बच्चे की हँसते की आवाज सुनोगे |” गुरदित हैरान हो कर बसंतो को देख रहा था कि ये बेटियाँ भी ना जाने कैसे कब इतनी बड़ी हो जाती हैं कि माँ बाप को सलाह देने लग जाती हैं |

            नीलम नारंग मोहाली (पंजाब )

मौलिक व अप्रकाशित 

 

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