मम्मी जी! अगले हफ्ते मेरे भाई की शादी है, मेरे गहने दे दीजिए, मुझे पहना है शादी पर, महक ने अपनी सास कावेरी जी से कहा। कावेरी जी: गहने? भला आजकल के ज़माने में कौन असली गहने पहनता है? जो चली गई ना तो फिर कभी ना बनेंगे। इतने आर्टिफिशियल गहने तो बिकते हैं बाज़ार में,
जो सोने को भी मात दे दे, वही खरीद लो। तुम्हारे भाई की शादी है तुम्हारी नहीं, तुमने असली सोना पहना है या नकली कौन देखेगा? वैसे भी शादी का घर है इतने लोग आएंगे, कितना ध्यान रख पाओगी? फिर मुंह लटका कर आ जाओगी, इससे अच्छा तो गहने मेरे ही पास रहे, तुम जाकर आर्टिफिशियल ले आना।
महक: मम्मी जी! मेरे अपने घर में शादी है और मैं सारे नकली गहने पहन कर जाऊं? मेरे पास कितने ज़ेवर है मेरी मां को भी पता है, फिर उनको क्या बोलूंगी क्यों मैंने नकली गहने पहने? वह भी अपने ही भाई की शादी में?
कावेरी जी: ओ अच्छा! अब मैं समझी कहां से और किसने गहने की बात छिड़वाई होगी? कहा होगा मायके वालों ने यही सही मौका है अपनी सास से गहने लेने का? अरे मुझे कोई गहनों का लालच नहीं है, वह तो तुम लोगों का भला सोचती हूं इसलिए तुम्हारे गहनों को संजो कर रखा है। पर अब नहीं,
आने दो रवि को उसके सामने ही तुम्हारे सारे गहने तुम्हें दे दूंगी। फिर तुम जानो और वह। फिर कावेरी जी और भी कुछ बड़बड़ाती हुई वहां से चली गई। महक भी सोचने लगी कि अब उनके आने पर न जाने मम्मी जी क्या हंगामा करेगी? जो बात मेरे मन में है भी नहीं, वह सब भी कहेगी, फिर रात में महक का पति रवि के आने के बाद कावेरी जी ठीक वैसा ही बखेड़ा खड़ी करती है,
जैसा महक सोच रही थी। रवि सारी बातें सुनकर महक की और बस देखता है, फिर वह उसे अकेले में कहता है, महक, तुम क्यों हमेशा मां के साथ बहस करती हो? क्या हुआ जो वह गहनों की हिफाजत कर रही है? यह तो तुम्हारे भले के लिए ही है ना? वैसे भी पापा के गुजरने के बाद मां को हमेशा से ही ऐसा लगता था कि वह अब इस घर की एक पुरानी सामान की तरह है, जिसकी अब कोई ज़रूरत नहीं, एक कोने में पड़ा हुआ है बस, कम से कम ऐसी छोटी-मोटी जिम्मेदारी उन्हें देने से उन्हें भी लगेगा कि उनकी भी कोई अहमियत और ज़रूरत है इस घर में, तो तुम इतना नहीं कर सकती?
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महक: देखिए मैं भी ऐसा ही सोचती हूं, मैंने कभी मम्मी जी को ना तो पुराना सामान समझा है और ना ही उनकी कोई बात टाली है, शादी करके इस घर में आते ही सारे गहने उनके पास रखवा दिए, यह सोचकर के अच्छा है मम्मी जी इनका ख्याल मेरे से ज्यादा रखेगी, पर मम्मी जी तो उसे मुझे देखने भी नहीं देती, कोई भी त्यौहार हो या शादी फंक्शन, कहती है, नकली पहन लो, मेरे गहने हैं मेरा भी तो मन करता है उसे पहनने को, पर किसी को मेरे चाहने या ना चाहने से कोई मतलब नहीं, यह कहकर महक सो जाती है।
फिर महक अपने भाई की शादी को नकली गहने में ही बीता देती है। दिन बीतते गए और यह बात पुरानी हो गई, महक भी अब कभी अपने गहने नहीं मांगती। कुछ महीने और बीते, फिर महक मां बनी और एक लड्डू गोपाल घर आ गया। महक को तो अब अपने बच्चे से ही फुर्सत नहीं मिलती,
सजना संवरने का तो उसके पास अब वक्त ही कहां था? फिर मुन्ने की नामकरण की रस्म की तारीख पक्की हुई। बड़े धूमधाम से होनी थी यह रस्म। रस्म के एक दिन पहले कावेरी जी महक को अपने कमरे में बुलाती है और कहती है, यह लो बहू, तुम्हारे गहने, कल यह सारे गहने पहन लेना और यह साड़ी पहनकर पूजा में बैठना, यह कहकर कावेरी जी एक नई साड़ी और मुन्ने के लिए नए कपड़े महक को थमा देती है।
महक: पर मम्मी जी! इतने गहने सभी पहन लूं?
कावेरी जी: हां कल तो घर पर ही रहोगी, ऊपर से इतने मेहमान आएंगे, उन्हें भी तो दिखना चाहिए ना हमारे खानदान के बहू की ठांट।
यह सुनकर महक कहना तो बहुत कुछ चाहती थी, पर वह आज कुछ कह कर, कल होने वाले शुभ काम को खराब नहीं करना चाहती थी, इसलिए अभी के लिए वह चुप रहकर कावेरी जी की बातों को मान लेती है। पर उसने मन में ठाना था, अनुष्ठान के बाद वह इसका जवाब ज़रूर देगी। अगले दिन सभी मेहमान आ गए, महक की ननद नताशा भी सज संवरकर पहुंची, नताशा सीधे आकर महक और कावेरी जी के पास बैठ गई, उसे अच्छे तरीके से घूरने के बाद, कावेरी जी कहती है, क्या बात है नताशा? यह सारे गहने नए बनवाए हैं क्या? बताया नहीं?
नताशा: कहां मां? यह तो सारे नकली है!
कावेरी जी: क्या? नकली? तू अपने भतीजे के नामकरण में नकली जेवर पहन कर आई है?
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नताशा: हां तो और क्या करती? मेरी सास का तो आपको पता ही है, मेरे सारे जेवर उन्हीं के पास है, जब भी मांगू तो कहती है ज़माना खराब है, यह तिजोरी में ही सुरक्षित है, नकली पहन लो। किसी शादी में पहनने के लिए मांगू, तो कहती है इतने लोगों में ध्यान नहीं रख पाओगी,
किसी घरेलू अनुष्ठान में पहनना और जब मुन्ने के नाम करण के लिए मांगा तो कहती है, नामकरण ही तो है कोई शादी का घर तो नहीं, तो इतना ताम झाम क्यों करना? इनसे कहो तो वह भी अपनी मां का ही पक्ष लेते हैं, अब हर किसी की किस्मत भाभी जैसी थोड़ी ना होती है, देखो सारे गहनों में कैसी जच रही है, यह सारी बातें सुनकर महक को लगता है, यही सही मौका है अपनी बात रखने का, जब बात गहनों की उठी ही है तो पूरी बात भी नताशा को पता होना चाहिए।
महक: क्या बोल रही हो नताशा? तुम्हारी सास सही ही तो कह रही है, गहने सास के पास ही होने चाहिए, हम तुम आजकल की लड़कियां ,भले ही घर पूरे घर को, यहां तक की बाहर भी संभाल लेंगे, पर जेवर नहीं। और घर में सास को लगना चाहिए ना कि वह कोई पुरानी सामान नहीं है, उनकी भी ज़रूरत और अहमियत है इस घर में, भले ही और कोई जिम्मेदारी उठाने में उनकी तबीयत उनके साथ ना दे, पर यह गहनों की रखवाली की जिम्मेदारी निभाने में मजाल है उनसे कोई चूक हो जाए। मेरे सारे गहने जो आज मुझे पहनी देख रही हो ना?
यह अपनी शादी के बाद आज मैंने पहने हैं, क्योंकि मम्मी जी के सामने उनके खानदान की ठांट की बात जो थी, जिसके कारण यह गहने आज मुझे मिले, वरना मैंने भी नकली गहने पहनने की आदत डाल ली है, तुम भी डाल लो, क्योंकि चाहे हमारा मन कितना भी हो हमारे अपने गहने पहनने का, पर ज़माना बहुत खराब है यह भी तो ध्यान में रखना होगा ना?
महक के इस बात में उसका अनकहा दर्द साफ झलक रहा था। कावेरी जी को शायद ही महक का दर्द समझ आया होगा, पर जब खुद की बेटी के साथ भी ऐसा हुआ हो, तो बुरा तो ज़रूर लगता हैं…
दोस्तों, एक लड़की की शादी में उसके माता-पिता द्वारा दिए गए गहनों से उसका काफी लगाव होता है, उसमें उनका प्यार, खुद की खुशी सभी समाई होती है। ससुराल आकर आज भी कई सास अपनी बहू से उसके गहने लेकर अपने पास रख लेती है, यह कहकर कि वह अभी छोटी है, इसकी जिम्मेदारी नहीं ले पाएगी, पर उसे घर के काम सौंपते वक्त, उन्हें यह याद क्यों नहीं रहता कि वह अब छोटी है इतनी सारी जिम्मेदारियां वह कैसे निभाएगी? तब सब यही चाहते हैं कि वह बड़ों की तरह घर की जिम्मेदारियां को संभाले।
चलो गहने रख लिए, पर उसे तीज त्योहार में तो पहने दीजिए, उसका भी तो मन करता है कि अपने घर के अनुष्ठान में अपने गहने पहने, बात सिर्फ गहनों की नहीं है बात है उसकी इच्छा की, जब बहू को घर की सारी जिम्मेदारी दे सकते हैं, तो गहनों के लिए इतना कोहराम क्यों? हां आजकल कई लड़कियां अपने गहने अपने पास ही रखती है, जिसके लिए उन्हें काफी जद्दोजहद भी करनी पड़ती है, पर अभी भी महक के जैसे ससुराल भी है और महक जैसी लड़कियां भी, जो सिर्फ और सिर्फ कलेश से बचने के लिए यह सब कुछ मान लेती है।।
धन्यवाद
रोनिता कुंडु
#अनकहा दर्द