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ये कैसा वेलेंटाइन डे ❤️ – प्रीति सक्सेना

हां तो बात है करीब दस साल पहले की, बेटे की शादी के ठीक डेढ़ साल बाद बेटी के लिए भी शानदार रिश्ता आया और हमने दोनों जिम्मेदारियों को बखूबी निभा दिया!!

   बेटा उन दिनों पुणे में Tata motors कंपनी में जॉब में था, बच्चों ने प्यार और आग्रह से बुलाया तो हम फरवरी माह में पुणे चले गए… वहां जाने का एक सबसे बड़ा,आकषर्ण हमारी पांच माह की गुड़िया सी पोती भी थी !!

सभी जगह वेलेंटाइन डे की धूम मची थी, देखा जाय तो बच्चों में इतना उत्साह तो होली दीवाली पर भी नहीं देखा!! खैर हम इन फालतू के चोंचलों के बारे में ज्यादा जानते भी नहीं पर सोसायटी के बाहर  जमकर फूलों के गुलदस्ते, चॉकलेट और भी न जाने क्या क्या सजा धजा दिखाई दे रहा था!!

       वेलेंटाइन डे की शाम बेटा बहू और अपनी बिटिया को लेकर वेक्सिनेशन के लिए हॉस्पिटल चला गया!!

 अपार्टमेंट के सामने ही पार्क था, हम दोनों वहां जाकर बच्चों को भागते खेलते देखते रहे, मेरा गला सूखने लगा तो मैं घर आ गई, पानी पिया और आकर दीवान पर लेट गई….. अचानक दीवान की चादर के नीचे कुछ होने का अंदेशा हुआ मुझे, चादर हटाकर देखा तो बेहद खूबसूरत ग्रीटिंग और मेरी मनपसंद चॉकलेट रखी थी, खुशी के कारण हमारी आंखें भर आईं, सोचा हम दोनों ही शादी के समय छोटी उमर के थे, हमारे समय ये सब कहां था, शायद इसीलिए पतिदेव ने ये तोहफा हमारे लिए रखा होगा!!



हां तो हमने फटाफट ग्रीटिंग पढ़ी,…. जल्दबाजी में ये अपना नाम लिखना ही भूल गए, लगता है… सोचते हुए हम ग्रीटिंग अपनी अलमारी में रख आए, चॉकलेट भी खोलकर खाना चाह ही रहे थे इतने में बच्चे आ गए, हमने सोचा सभी साथ ही खा लेंगे तो वो भी अलमारी में रख आए!!

  थोड़ी देर बाद देखा किचन में बरतनों की कुछ ज्यादा ही आवाज़ आ रही थी, बने तो नई नई सास थे … पर कहानी खूब पढ़ी और पिक्चर सास बहू की बहुत देखी थीं तो समझ गए…. बहू का पारा हाई है… कारण समझ नहीं आया!!

 देखा बेटा इधर उधर कुछ ढूंढ रहा है, बहुत परेशान दिख रहा है,बहू भी मुंह फुलाए हुए दिखी, हम दोनों एक दूसरे को देखकर पूछें पर कारण समझ न आए!!

थोड़ी देर बाद बेटा मेरे पास आकर बोला ” अरे मम्मी… मैंने एक गिफ्ट दीवान के नीचे रखी थी या कहीं और..  याद नहीं आ रहा आपने देखी क्या?

हमारा गुलाब की तरह खिला मुंह सूखे छुआरे की तरह सिकुड़ गया, बगैर कुछ कहे।  . अलमारी से गिफ्ट निकाली और बेटे को थमा दी हां हम तरसती निगाहों से गिफ्ट को देखे भी जा रहे थे, पतिदेव निर्विकार बैठे, उन्हें कुछ पता ही नहीं था!!

थोड़ी देर में बच्चों के खुशी से भरे चेहरे दिखे और खिलखिलाहट भी सुनाई दी…. पर हमारा क्या हुआ ये आज तक किसी को पता भी नहीं है, अरे बताकर अपना मज़ाक बनवाना था क्या??

तो ऐसा था हमारा कभी न भूलने वाला हैप्पी वेलेंटाइन डे!!

 

प्रीति सक्सेना

इंदौर

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