यादगार यात्रा – नताशा हर्ष गुरनानी

बात मई 2019 की है जब हम पांचों बहनों ने सोचा कि क्यों न मम्मी डैडी को तीर्थ पर ले जाया जाए।

पहले हमने आपस में बातें की फिर जब सब तय हुआ तो मम्मी डैडी को कहा, जैसे ही मम्मी ने सुना उनका चेहरा खुशी से मुस्करा गया। फिर अगले पल कहने लगी नहीं नही मेरे घुटनों में दर्द है मै नहीं चल पाऊंगी तब मैने कहा कि हम सब है ना बस हां कर दो ना।

मन तो था मम्मी का और आखिर सबने मम्मी डैडी से हां करवा ही ली।

हम 5 बहनें हमारे छोटे बच्चे और मम्मी डैडी।

बड़ी दीदी के बच्चे बड़े है इसलिए उनको नही ले गए।

किसी के पति को भी हमने नही कहा क्योंकि हम सिर्फ सब कुछ मम्मी डैडी के लिए करना चाह रहें थे और मन में यही था कि ये यात्रा उनके जीवन की यादगार यात्रा हो। हमेशा बच्चो के लिए उन्होंने कमाया जोड़ा, खर्च किया खुद के लिए दोनो कभी जिए ही नही तो इस बार हमारी बारी।

भोपाल से हम तीन बहने मम्मी डैडी और बच्चो समेत रात की रेलगाड़ी में निकले अमृतसर के लिए।

रात का समय था तो सब सो गए सुबह उठे तो आगरा आ गया था, फिर दिल्ली इस तरह जैसे ही हम पंजाब में पहुंचे।

जालंधर में ही स्टेशन पर लोग अंदर आए और लंगर प्रसाद देने लगे ऐसा लगभग तीन स्टेशन पर हुआ।

अच्छा लगा कि सेवा कही भी की जा सकती है किस रूप में भी की जा सकती है।

और रात में 9 बजे  हम पहुंचे अमृतसर, ट्रेन से उतरते ही मम्मी डैडी ने एक दूसरे का हाथ पकड़ा और धीरे धीरे आगे बढ़ने लगे। ये पल बहुत खूबसूरत था हमारे लिए।




शेरे पंजाब में रहनें के लिए पहले ही व्यवस्था करवा दी थी।

खाना खाकर मैने मम्मी से कहा कि अभी सो जाओ सुबह बाकी दोनो दीदी भी आ जाएंगी फिर चलेंगे स्वर्ण मंदिर दर्शन के लिए।

हां कहकर सभी सो गए

दूसरे दिन सुबह मेरी दोनो बहने भी गुजरात और राजस्थान से आ गई अमृतसर

अब तो हम पांचों और मम्मी डैडी और हमारा बचपन।

इतनी मस्ती की हमने की हमारे बच्चे भी हमे देखेकर हैरान हो रहे थे और साथ साथ वो भी मजे कर रहे थे।

हम बहनों ने आपस में काम बाट लिया था ताकि किसी को आगे परेशानी न हो

बड़ी दीदी मम्मी डैडी का ध्यान रखेंगी

दूसरी दीदी पैसे का हिसाब रखेंगी

तीसरी सामान का

मैं चौथी कुछ भी लाना हो बाहर से या कही आना जाना हो  उसकी व्यवस्था करूंगी

और छोटी बहन सब बच्चो का ध्यान रखेंगी।

उस दिन मई में भी अमृतसर में बारिश हुई तो मौसम भी खुशनुमा हो गया।

उस दिन दरबार साहिब के दर्शन के लिए हम सबने पहले से ही ड्रेस कोड तैयार कर लिया था लाल ड्रेस पहनना था सबको।




फिर क्या सब जल्दी जल्दी तैयार हुए अपने अपने लाल ड्रेस में और निकले सब दरबार साहिब दर्शन को।

जैसे ही वहां पहुंचे मम्मी डैडी के चेहरे के  उस नूर को  मै आज भी नही भूल सकती।

बहुत अच्छे दर्शन हुए सबके फिर सबने लंगर प्रसाद छका

बहुत देर तक वहीं बैठे रहे सब, लगा जैसे सब समेट ले अपनी झोली में कितना सुकून है दरबार साहिब में।

फिर हम सब वहां से दो कार बुक करवा कर गए अटारी बार्डर

वहां तो देश प्रेम का ऐसा जज़्बा देखकर गर्व की अनुभूति हुई।

मेरे डैडी इस उम्र में भी हाथ उठाकर देश भक्ति के गानों पर नाचने लगे।

मम्मी डैडी को इस तरह खुश देखकर हम बहनों की खुशी का परावार नही था।

रात में सब वापस रूम में आए और फिर हम पांचों बहनों ने बचपन के खेल खेले।

डैडी हमेशा शर्ट पैंट पहनते है। उस दिन उनको टी शर्ट पहनाई, मम्मी डैडी को केप पहनाई, रंगीन चश्मा पहनाया और अलग अलग स्टाइल में फोटो क्लिक करी उनकी।




मम्मी डैडी ने भी पूरा साथ दिया कोई मनाई नही की उन्होंने

ऐसा लगा जैसे वो सालो से इस पल जीना चाहते थे और आज उनको भी वो मौका मिला।

5 कमरे बुक थे पर सब एक ही कमरे में बैठ गए और पूरी रात बहुत मस्ती की हर तरह के खेल खेले जो बचपन में खेलते थे।

अगले हम निकले हरिद्वार के लिए वहां पर भी गंगा स्नान किया, गंगा आरती में भी भाग लिया। मम्मी का जो मन था वो सब खरीद लिया उन्होंने।

मम्मी डैडी और हम सब बहने अपने बच्चो संग बहुत अच्छे से हरिद्वार, ऋषिकेश, दिल्ली सब घूमे।

मम्मी डैडी बार बार हम बहनों को आशीर्वाद दे रहें थे।

और हम सब उनको देखकर भगवान को नमन कर रहें थे इतने प्यारे मम्मी डैडी का इतना सारा प्यार हमे मिलने के लिए।

ये यात्रा मेरे जीवन की सबसे सुखद यात्रा रही आज भी इस यात्रा को याद करके मन में सुकून का अहसास होता है।

इसमें सबसे ज्यादा योगदान हम सबके पतियों का भी रहा जिन्होंने हमे  जाने से एक बार भी मना नही किया।

और हम बहुत सुखद और यादगार यात्रा कर पाए।

नताशा हर्ष गुरनानी

भोपाल

 

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!