वो दबी मुड़ी रोटियां – नीरजा कृष्णा

आज उनके घर में कुछ मित्र रात्रिभोज के लिए आ रहे थे…सब तरह की तैयारियां की गई… रागिनी को इतना भागते दौड़ते देख कर पापा जी का मन भीग सा गया,”अरे बिटिया, तुम बहुत थक जाओगी… हर चीज़ घर में  कहाँ तक बनाओगी… रूमाली रोटी…बटर नान और स्टफ्ड कुलचे बाहर से आ जाऐंगे… सब्जियां तुमलोग बना लो।”

रागिनी ने पूरी खाने की मेज़ सजाई…सारी फैंसी सब्जियों को थोड़ा देशी तड़का लगा दिया था…खाने की रंगत देख कर अरोरा अंकल बहुत खुश हो गए,”अरे होटलों की एक ही तरह की ग्रेवी वाली सब्जियों से तो मन ऊब गया… रागिनी के बनाए ये देशी रंगत के आलूदम…ये ये बिना क्रीम वाले मटर पनीर…और बची खुची कसर इन भरवां भिंडियों ने पूरी कर दी…वाह वाह।”

वो बहुत खुश होकर जब बटर नान और कुल्चे परोसने लगी तो वो आश्चर्य से बोले,”ये सब क्यों…घर की रोटी क्यों नही… अच्छा चल कोई बात नही… उस डिब्बे में क्या है… जरूर दोपहर की दबी बची रोटियां होगी।”

सबके ना ना करने पर भी उन्होंने वो डिब्बा छीन कर वो दबी हुई मुड़ी रोटियाँ पूरी तृप्ति से खाई…सब हैरानी से देख रहे थे,”अमाँ यार ऐसे क्या देख रहे हो…आज उनके घर में कुछ मित्र रात्रिभोज के लिए आ रहे थे…सब तरह की तैयारियां की गई… रागिनी को इतना भागते दौड़ते देख कर पापा जी का मन भीग सा गया,”अरे बिटिया, तुम बहुत थक जाओगी… हर चीज़ घर में  कहाँ तक बनाओगी… रूमाली रोटी…बटर नान और स्टफ्ड कुलचे बाहर से आ जाऐंगे… सब्जियां तुमलोग बना लो।”

रागिनी ने पूरी खाने की मेज़ सजाई…सारी फैंसी सब्जियों को थोड़ा देशी तड़का लगा दिया था…खाने की रंगत देख कर अरोरा अंकल बहुत खुश हो गए,”अरे होटलों की एक ही तरह की ग्रेवी वाली सब्जियों से तो मन ऊब गया… रागिनी के बनाए ये देशी रंगत के आलूदम…ये ये बिना क्रीम वाले मटर पनीर…और बची खुची कसर इन भरवां भिंडियों ने पूरी कर दी…वाह वाह।”

वो बहुत खुश होकर जब बटर नान और कुल्चे परोसने लगी तो वो आश्चर्य से बोले,”ये सब क्यों…घर की रोटी क्यों नही… अच्छा चल कोई बात नही… उस डिब्बे में क्या है… जरूर दोपहर की दबी बची रोटियां होगी।”

सबके ना ना करने पर भी उन्होंने वो डिब्बा छीन कर वो दबी हुई मुड़ी रोटियाँ पूरी तृप्ति से खाई…सब हैरानी से देख रहे थे,”अमाँ यार ऐसे क्या देख रहे हो…तंदूरी,बटर नान,स्टफ नान ,रुमाली और पता नही क्या क्या नाम से बिकती है बाजार में रोटियां लेकिन भूख तो मिटती है दबी हुई सिकुड़ी हुई डिब्बे की इन दो रोटियों से ही।”

नीरजा कृष्णा

पटना

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