वज्रपात ! – रमेश चंद्र शर्मा

पढ़ाई में अव्वल रजनी ने माता पिता के विरोध के बावजूद कमलेश प्रेम विवाह किया। कमलेश के पिता शहर के जाने-माने नेता । अच्छी खासी धन दौलत ।समाज में रुतबा । शादी के कुछ महीनों तक ठीक-ठाक चलता रहा । देर रात कमलेश नशे में धुत होकर रजनी से बहस करने लगा ।

कमलेश ” मेरी तो मति मारी गई थी ।तुम्हारे प्रेम जाल में उलझकर शादी कर ली”।

रजनी ” कॉलेज में तो आप शालीनता से व्यवहार करते रहे । मैं आपसे इंप्रेस होते चली गई। शादी के बाद यहां आने पर मालूम पड़ा कि आप शराब, जुआ, अय्याशी में डूबे पड़े हैं”।

कमलेश “हमारी सोसाइटी में यह सब आम बात है। तुम जैसी पुरानी सोच की महिला यह सब हजम नहीं कर सकती”।

रजनी “आप क्लबों में जाकर रंगरेलियां मनाते हो। कोई भी पत्नी यह बर्दाश्त नहीं करेगी”।

कमलेश(चीखकर) ” तुमने मेरा जीवन नर्क बना डाला है । मैं तुमसे तलाक चाहता हूं। तुम्हारे साथ कुछ समय लिव इन रिलेशनशिप में क्या रहा,तुम मेरे गले पड़ गई”।

रजनी ” अब मैं कहीं की नहीं रही। आपके प्रेम जाल में फंसकर माता-पिता की बदनामी करवा दी। इसी टेंशन में पिताजी का स्वर्गवास हो गया”।

कमलेश ” तुम्हारे दो कौड़ी के मां बाप की मेरे दौलतमंद पिता के सामने क्या हैसियत । उनकी नेतागिरी पर असर पड़ता। नहीं तो वे तुम्हें बहुत पहले चुप कर देते”?

      दोनों में आए दिन वाद विवाद चलता रहता। परिस्थिति की मारी रजनी घर की चारदीवारी में घुटने लगी । नेताजी के घर के सामने सख्त पहरे लगे रहते। नेताजी रजनी के कमरे में कभी नहीं झांके। मौके की नजाकत भांपते हुए कमलेश ने पैंतरा बदलना शुरू कर दिया ।

कमलेश “रजनी, घर की चारदीवारी में रहते हुए तुम्हारा दम घुट रहा है। तुम्हारी हालत बिगड़ती जा रही है ।क्यों ना हम किसी हिल स्टेशन पर कुछ दिन बिताएं”?

काफी दिनों की मान मनोव्वल के बाद रजनी शिमला जाने को तैयार हो गई । दोनों प्राकृतिक वादियों का इंजॉय करने में व्यस्त हो गए । नीचे नदी किनारे  बैठी रजनी के ऊपर अचानक बहुत बड़ा पत्थर आकर गिर गया ।उसकी जीवन लीला वहीं समाप्त हो गई। कमलेश जोर-जोर से दहाड़ मारकर रोने लगा।

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# रमेश चंद्र शर्मा

16 कृष्णा नगर – इंदौर

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