• infobetiyan@gmail.com
  • +91 8130721728

वक्त ने आज फिर उसी मोड़ पर लाकर खड़ा कर दिया था !! – स्वाती जैंन

सलोनी जी आइने के सामने खड़ी हुई तो उनकी नजर अपने चेहरे पर पड़़ी झुर्रियों और सफेद हुए बालों पर पड़ गई और नजर का जाना लाजमी भी था क्यूंकि आज ही रितिका ने मम्मीजी को बूढ़े होने का एहसास जो दिलाया था !!

रितिका ,सलोनी की बहु और अपने इकलौते बेटे अंकित की पत्नी जिसे अंकित ने खुद ही पसंद किया था !! दरअसल रितिका की सहेलियाँ घर आई हुई थीं जहाँ सलोनीजी भी आकर बैठ गईं !! सासू मां का इस तरह साथ में बैठना सारी सहेलियों को अनकम्फर्ट महसूस करवा रहा था जिस वजह से वे ना तो हँस पा रही थीं और ना दिल की बातें खोल पा रही थीं तभी रितिका बोली अरे मम्मीजी आप जाइए अपने कमरे में टी.वी देखिए वैसे भी हम जवान औरतों में आप बुड्ढों का क्या काम ??

सलोनीजी अपमान सहकर रह गई और उठकर अपने कमरे में चली आईं!! आज सलोनीजी को वह दिन याद आ गए थे जब वे अपनी सास करुणा देवी को ऐसे ही टोक दिया करती थीं !! करुणाजी को कितना अपमान महसूस होता होगा वह आज सलोनी समझ पा रही थीं क्यूंकि ऐसा पहली बार नहीं हुआ था जब रितिका ने सलोनीजी का अपमान किया हो , पहले भी वह अकेले में कई बार सलोनीजी को कुछ ना कुछ सामने जवाब दे देती थीं मगर अब वह लोगों का भी लिहाज नहीं करती थी !!

 

वक्त ने आज फिर उसी मोड़ पर लाकर खड़ा कर दिया था बस चेहरे और नाम अलग थे !!

वो कहते हैं ना जो बोएगा वही पाएगा !!

 

अंकित रात को ऑफिस से घर आता उसे भी अपनी पत्नी की सारी बातें सही लगतीं, कभी रितिका अंकित को सलोनीजी के बारे में भड़का भी देती थी जिस वजह से वह भी अपनी माँ को ही गलत करार देता इसलिए सलोनी जी अंकित से कभी रितिका के इस बुरे व्यवहार की बात नहीं करती थीं।

सलोनीजी के पति राजेश्वरजी भी तो उनकी ही बातों में हाँ में हाँ मिला देते थे, वे कोई झगड़ा नही चाहते थे घर में, इसलिए कभी करुणाजी और सलोनी के बीच में नही पड़ते थे , अंकित भी इसी तरह मजबूर होगा यह सलोनीजी समझ चुकी थी !!




सलोनी जी जब दूसरों से करुणाजी की बुराईयाँ करती तो बडे- बुर्जुग यही कहते सलोनी कभी तुम भी बुड्ढी होगी यह मत भूलो, माना करुणाजी थोडी सख्त हैं मगर तुम बिल्कुल समझौता नहीं करती , तुम्हें उनकी उम्र का लिहाज कर थोड़ा झुक जाना चाहिए मगर दोनों सास – बहु में कभी ना बनी !!

सलोनीजी घर में अपनी ही चलाती, अपना वर्चस्व बनाए रखने के उद्देश्य से उन्होने करुणाजी को कभी सम्मान नहीं दिया !!

वह अक्सर लोगों से कहती बुढ़ापे में करुणाजी सटिया गई हैं !!

 

ना सलोनी समझौता कर पाई और ना करुणाजी कभी नरम बन पाई !!

आज वही वक्त वापस आ चुका था , रितिका ना सलोनीजी को सम्मान दे पाई और ना सलोनीजी उस सम्मान के लायक बन पाई !! सलोनीजी ने जो बोया था वही उन्हें वापस मिल रहा था !!

दोस्तों यही इस दुनिया की रीत है आप जैसा करते हो वैसा वापस आपको मिलता हैं इसलिए कर्म सोच – समझकर करें !!

 

आपको मेरी यह स्वरचित कहानी कैसी लगी ?? अपनी प्रतिक्रिया जरूर दे तथा मेरी अन्य रचनाओं को पढ़ने के लिए मुझे फॉलो अवश्य करें !!

आपकी सखी

 

स्वाती जैंन

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!