वो सुनसान रात – कामिनी मिश्रा कनक

चारों तरफ अँधेरा ही अँधेरा , बादल और बिजली की आवाजे । दर्द से चीखती कमला तड़प रही थी अचानक ही कमला को प्रसव पीड़ा होती है ।

कमला घबरा जाती है , बहुत चीखती है , चिल्लाती है , दर्द से तड़पती है , अपने पास किसी को बुलाने की बहुता कोशिश करती है कि कोई तो आए उसके पास , जिससे उसे हिम्मत मिले । और प्रसव पीड़ा से जल्द छुटकार मिले ।

परंतु कहते है ना, कि  जो होना होता है वह होकर रहता है । 

    वो सुनसान रात कमला की जिंदगी में अंधेरा लेकर आई , जिस वक्त कमला प्रसव पीड़ा से तड़प रही थी , उस वक्त घर पर ना तो कमला की सास थी , और ना ही उसका पति दोनों जन बादल की आवाज सुनकर परेशान हो गए , कि जोर से बारिश आने वाली है , और खेत में अनाज ऐसे ही परा हुआ है । यही सोच कर दोनों जन खेत में जो आज अनाज कटे थे  , उसे कहीं सुरक्षित जगह रखने के लिए चले गए । उन दोनों ने यह भी नहीं सोचा कि कमला को इस हालत में अकेले छोड़ना  सही है या नहीं ।

कमला असहाय दर्द को सहन नहीं कर पा रही थी और वह जोर-जोर से चिल्ला रही थी , तेज बारिश और आंधी तूफान की वजह से आसपास रहने वाले लोग भी दरवाजा खिड़की बंद करके घर में बैठ गए थे । जिस कारण कमला की आवाज उन तक पहुंच नहीं पाई ।

अपनी माँ को दर्द में तड़पता हुआ देख , कमला कि चार साल की बेटी माँ के पास आकर रोने लगती है ।

और कमला से बोलती है माँ तुम्हें क्या हुआ ,  तुम रो मत मुझे भी तुम्हें देखकर रोना आ रहा है  माँ  मैं तुम्हारे लिए पास वाली चाची और दादी  को बुला कर लाती हूं , लेकिन कमला सुनसान रात और ऊपर से बारिश भी शुरू हो चुकी थी । ऐसे में अपनी 4 साल की बच्ची को कैसे बाहर भेजती ।




बारिश की वजह से कमला कि सास और पति दोनों किसी सुरक्षित जगह पर रहने के लिए चले गए थे , कमला का दर्द बढ़ रहा था , और वह तड़प रही थी ।

बादल की आवाज , ऊपर से तेज बारिश की वजह से कमला की आवाज किसी को सुनाई नहीं पड़ी । कमला की चीख मानो बादल की आवाज में कही गुम हो कर रह गई ।

आज भी कमला का पति उस सुनसान रात को याद करके अपने आप को बहुत कोसता है कि काश मैं उस रात अपनी  माँ  को घर पर ही छोड़ कर अकेले ही अनाज को रखने के लिए जाता , तो आज मेरी जिंदगी भी खुशहाल होती । कमला और मेरा बच्चा दोनों सुरक्षित होता।

✍️कामिनी मिश्रा कनक

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