वैवाहिक बँधन या समझौता –  के कामेश्वरी

रजनी क्लीनिक से थक हार कर घर पहुँची । घर की हालत देख कर उसके पूरे शरीर में जैसे कमजोरी आ गई थी । उसे घर को देख कर ऐसा लग रहा था जैसे कि यहाँ बहुत बड़ी जंग हुई हो । पूरा सामान बिखरा पड़ा था । सोफे पर किताबें ,कलर पेंसिल्स यह अभी देख ही रही थी कि छोटी बेटी श्वेता आई ममा भूख लग रही है प्लीज़ कुछ बना दीजिए ना । देखा दीदी ने अपने लिए मेगी बना लिया है । मुझे भी मेगी ही खाना है । 

रजनी ने कहा— ठीक है बेटा मैं बना देती हूँ । मैं थोड़ा फ्रेश हो कर आ जाऊँ । +

 

श्वेता ने कहा ठीक है ममा मैं वेट कर लेती हूँ । रजनी जल्दी जल्दी फ्रेश हो कर आई और रसोई में घुसते ही समझ गई थी कि प्राची ने अपने लिए सैंडविच बनाया है । अब उससे कुछ कहने की हिम्मत नहीं थी इसलिए फटाफट रसोई साफ करके खाना बनाने लगी । श्वेता को अपने पास बिठाया और होमवर्क पूरा कराया । श्वेता को खाना खिला कर पूरा खाना टेबल पर जमा दिया। प्राची को खाने के लिए बुलाया पर वह नहीं आई उसके पास जाकर उसका भी स्कूल का काम चेक किया था । वहीं पति गौरव का इंतज़ार करते हुए सोफे पर बैठे बैठे ही उसकी आँखें कब बंद हुई उसे पता ही नहीं चला। 

खटर-पटर की आवाज़ सुनकर रजनी ने आँख खोलकर देखा तो गौरव फ्रेश हो कर खाने की टेबल पर बैठ गया था । 

उसने कहा — अभी इस समय सो रही हो ? चलो खाना परोस दो। बहुत भूख लगी है । 

रजनी उठकर कमरे में गई और प्राची को भी खाने के लिए बुलाया । 

प्राची और गौरव को खाना परोस कर खुद भी खाने के लिए बैठती है तब तक प्राची थोड़ा सा खाकर माता-पिता को बॉय बोलकर यह कहते हुए चली जाती है कि उसे पढ़ना है । 

रजनी और गौरव दोनों ही फिजियोथेरिपिस्ट हैं । केनडा में उन्होंने अपने बलबूते पर तीन क्लीनिक खोल लिया था । प्राची छठवीं क्लास में पढ़ती है और छोटी श्वेता पहली कक्षा में पढ़ती है ।  

रजनी सर झुकाए हुए चुपचाप खा रही थी । 

गौरव ने कहा — रजनी अगले सप्ताह से तुम पाँच दिन क्लीनिक पर काम करने आओगी । 



रजनी ने कहा— गौरव ऑलरेडी मैं चार दिन क्लीनिक पर आती हूँ और अब एक और दिन !!!मुझसे नहीं होगा। मैं नहीं आ सकती वैसे भी मैं ही तुम्हें बताना चाहती थी कि मैं अब हफ़्ते में सिर्फ़ दो दिन ही आऊँगी । गौरव मुझसे नहीं होता है। मैं अपने बच्चों पर ध्यान देना चाहती हूँ । प्लीज़ मुझे फ़ोर्स मत करो । 

गौरव को ग़ुस्सा आ गया था और वह बिना कुछ बोले खाना ख़त्म करके अपने कमरे में चला गया था । 

रजनी भी अपना काम ख़त्म करके कमरे में जाकर देखती है कि गौरव उसका ही इंतज़ार कर रहा था । वह उसे समझाने के लहजे में प्यार से कहने लगा कि देखो!! रजनी तुम कॉलेज की टॉपर हो तुम में बहुत हुनर है और तुम्हें मालूम है न कि हम इंडिया से यहाँ पैसे कमाने के लिए आए हैं और अभी हमें अपने बच्चों के लिए भी बहुत कुछ करना है ऐसे में तुम पीछे हट जाओगी तो कैसे चलेगा । 

रजनी ने कहा— देखो गौरव घर और बाहर का काम मुझसे नहीं हो रहा है ऊपर से लड़कियाँ हैं उन्हें सँभालना भी मुझे ही है । तुम तो मेरी मदद भी नहीं करते हो । 

वह तो है.. देखो रजनी मुझसे तुम मदद की उम्मीद मत रखना । मैं भी कोई बैठा हुआ नहीं हूँ । तुम्हें अच्छे से मालूम है कि तीन क्लीनिक सँभालना आसान काम नहीं है । तुमसे नहीं होता है तो एक नेनी रख लो पर क्लीनिक तो तुम्हें आना ही पड़ेगा तुम्हारे लिए कोई दूसरा विकल्प नहीं है । अब सो जाओ ! कल सुबह जल्दी उठना है। कहते हुए सोने की तैयारी कर लेता है । 

रजनी की तो आँखों से नींद उड़ गई थी । वह अपने पुराने दिनों को याद करते हुए सोचने लगी……

गौरव और मैं एक ही कॉलेज में पढ़ते थे । जब हम तीसरे साल में थे तब ही हमें महसूस हो चला था कि हम दोनों एक दूसरे को चाहने लगे हैं । 

गौरव ने कहा — रजनी साल के अंत में हम अपने परिवार वालों को बताएँगे । मैं भी उसकी बात मान गई थी । 



गौरव की और हमारी जाति में अंतर था।  रहते तो हम आन्ध्रप्रदेश में ही थे पर वे रेड्डी थे और हम ब्राह्मण इसलिए मुझे भी मालूम है कि शादी में दिक़्क़त ज़रूर आएगी । 

पहले गौरव ने ही अपने में घर में बताया था । उनकी माँ ने साफ मना कर दिया था क्योंकि उसकी एक छोटी बहन थी जिसकी शादी करने में तकलीफ़ हो जाएगी साथ ही गौरव के पिता शहर के नामी डॉक्टर थे । गौरव जब जिद करने लगा था तो उन्होंने कहा कि देखो गौरव मेरे जीते जी तो मैं इस शादी के लिए हाँ नहीं करूँगी । 

 मैंने अपने घर में बताया था तो मेरे पिता ने भी कह दिया था कि हमें यह रिश्ता मंज़ूर नहीं है । 

हमने सोचा पहले अपनी पढ़ाई पूरी कर लें फिर क्या करना है सोच लेंगे ।हम दोनों ही टॉपर थे इसलिए पढ़ाई को लेकर कोई रिस्क नहीं लेना चाहते थे । गौरव को पहले से ही पैसे कमाने की जिद थी । उसके लिए वह दिन रात मेहनत करने के लिए तैयार हो जाता था।  जबकि उनके पास करोड़ों की संपत्ति है । अब हम दोनों सोच रहे थे कि क्या करें ? उसी समय गौरव की माँ की मृत्यु दिल का दौरा पड़ने से हो गई थी । मैंने भी अपने घर में आत्महत्या करने की धमकी दी थी । 

गौरव के पिता पत्नी की मौत के बाद टूट गए थे वे अपने बेटे को खोना नहीं चाहते थे । इसलिए उन्होंने उनकी शादी के लिए हाँ कह दी । 

मेरा भाई भी अमेरिका में रहता था। उसने भी पिताजी को समझाया कि आजकल यह आम बात है आप हाँ तो कह दीजिए । गौरव के पिता ने कहा कि गौरव रजनी से छोटा है फिर भी सबके कहने पर उन्होंने हाँ कह दिया था। 

माँ ने कहा कि—  सुनिए वे पढ़े लिखे बालिग़ हैं अगर वे बाहर जाकर शादी कर लेंगे तो हम क्या करेंगे इसलिए हम साथ रहकर उनकी शादी कराते हैं तो समाज में भी उनकी इज़्ज़त रहेगी । 

पिताजी ने कहा— शादी करा देंगे पर मैं कन्यादान नहीं करूँगा उस लड़के के पैर नहीं धोऊँगा कहे देता हूँ । वे इस जिद पर अड़ गए थे । 

माँ ने और भाई ने कहा—  ठीक है वहाँ मंडप में बैठ जाइए दामाद के पैर मत धोइए । इन सब कंडीशनों के बीच हमारी शादी हो गई थी । 

भाई ने माता-पिता के फ़्लैट्स में ही मेरे लिए भी एक फ़्लैट ख़रीदा और हम दोनों वहीं शिफ़्ट हो गए थे । हम लोग दो साल वहीं रहे परंतु गौरव को कुछ कर दिखाने और आगे बढ़ने की लालसा थी । इसीलिए हम दोनों हैदराबाद शिफ़्ट हो गए थे । मेरी माँ को चिंता सताती थी कि गौरव मेरी ठीक से देखभाल करेगा कि नहीं क्योंकि वह मुझसे एक साल छोटा जो था । 

इसलिए मेरे माता-पिता भी हमारे साथ हैदराबाद आ गए और हमारे साथ ही रहने लगे । इसका एक कारण यह भी था कि मैं माँ बनने वाली थी । गौरव मेरी ख़ूब अच्छे से देखभाल करता था । मैं भी उससे कुछ काम नहीं कराती थी । उसके हर सहूलियत का ध्यान रखती थी । मैंने घर में पूरे समय के लिए काम करने के लिए बाई को रख लिया खाना बनाने वाली को रख लिया ताकि गौरव पर ज़्यादा ध्यान दे सकूँ । हम दोनों वहीं के अस्पतालों में काम करने लगे थे । गौरव तो कुछ पेशेंट्स का घर जाकर भी इलाज करता था ।इसी बीच हमारी एक प्यारी सी बच्ची प्रिया हुई थोड़े दिन मैं उसके साथ व्यस्त हो गई थी । 



अब गौरव मेरे पीछे पड़ गया था कि क्लीनिक जाओ घर में मत बैठो ।  तेरे माता-पिता बच्ची को देख लेंगे और नेनी भी तो है उनकी मदद के लिए । मैं !! माँ और नेनी के पास बच्ची को छोड़कर क्लीनिक जाने लगी पर गौरव को तकलीफ़ नहीं होने देती थी शायद उसी का नतीजा है कि वह आज भी मेरे से ही पूरा काम करने की उम्मीद करता है । 

यह सब सोचते हुए रजनी की आँख लग गई थी । सुबह फिर उसे जल्दी से उठना भी था । सुबह जल्दी उठकर उसने सबके लिए नाश्ता बनाया और पैक किया। सबके उठते ही गौरव को कॉफी बच्चों को दूध देकर छोटी को तैयार करके स्कूल छोड़ने गई । वहाँ से आते समय माँ का फ़ोन आया था हाल-चाल पूछा और घर पहुँचकर गौरव को भी क्लीनिक भेजा जाते समय उसने कहा रजनी जल्दी से क्लीनिक पहुँचना पेशेंट आ जाएँगे ।मैंने हाँ में सर हिलाया और खुद तैयार होने लगी । 

तैयार होते हुए फिर वह यादों में खो गई थी । गौरव को उसके फ्रोफेसर ने बताया था कि वह केनडा आ जाएगा तो अच्छा है क्योंकि यहाँ फिजियोथेरफिस्टों के लिए अच्छा भविष्य है । बस फिर क्या गौरव ने जाने की सारी औपचारिकताओं को पूरा कर लिया । 

मेरी माँ ने कहा कि—  तुम्हारी बच्ची छोटी सी है पहले गौरव जाकर सेटिल हो जाएगा फिर तू चली जाना पर मैंने उनकी बात नहीं सुनी और हम तीनों केनडा आ गए थे । यहाँ आकर हम दोनों को बहुत कष्ट झेलना पड़ा परंतु धीरे धीरे हमने अपने पैर जमाए । जब गौरव को ज़रूरत थी तब मैंने खुलकर उसकी सहायता की थी । अब हमने तीन क्लीनिक ख़रीद लिया है और हम अच्छा ही कमा रहे हैं । मुझे लगता है कि अब मुझे अपने बच्चों पर ध्यान देना चाहिए पर यह बात गौरव नहीं समझता है । 

हम दोनों ने घर वालों से लडझगडकर शादी की थी मैं नहीं चाहती हूँ कि हम दूसरों को बातें करने का मौक़ा दें । इसीलिए मुझे लगा कि इस शादी को किसी भी तरह से मैं बचा सकूँगी ।इसलिए गौरव से बात करके इस गुत्थी को सुलझाने में ही मुझे समझदारी लगी । मैं क्लीनिक पहुँच गई थी । पेशेंट्स के साथ खड़े होकर एक्सरसाइज़ कराना पड़ता है मेरी कमर में दर्द होता है गौरव इन बातों को सुनने के लिए तैयार नहीं रहता है।  

जब सब चले गए थे तब मैंने गौरव से बात की और कहा गौरव हर दिन आऊँगी पर कुछ घंटों के लिए ही आऊँगी । गौरव किस मूड में था नहीं मालूम परंतु उसने भी हाँ कह दिया था । 

रजनी को खुशी हुई कि अब वह घर और बच्चों को भी सँभाल लेगी । दूसरे ही दिन उसने नेनी को रख लिया उसकी मदद हो जाने से वह बच्चों पर भी ध्यान दे सक रही थी । 

उसने सोचा ख़ैर कुछ भी हो पर एक बात मेरी समझ में आ गई है कि वैवाहिक बंधन में समझौता तो करना ही पड़ता है । 

दोस्तों रजनी ने समय रहते ही अपने संबंधों को मज़बूत कर लिया था । उसके लिए उसे समझौता ही क्यों न करना पड़ा । उसे लगा यह काम मुझे पहले ही कर लेना था परंतु कोई बात नहीं है । अब तो मैं समझ गई हूँ कि ज़िंदगी में सुख शांति और सुरक्षा के लिए शादी ही नहीं किसी भी रिश्ते में थोड़े बहुत समझौते तो करने ही पड़ते हैं । 

के कामेश्वरी 

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