Short Stories in Hindi : रोशनी के पति की मृत्यु हो गई थी । उसका एक बेटा था जो बारहवीं कक्षा में पढ़ रहा था । उसने खुद ने तो कोई पढ़ाई नहीं की थी इसलिए अपने बेटे को वह पढ़ाना चाह रही थी । उनकी एक छोटी सी दुकान थी ।
यहाँ तक सब ठीक है अब आगे !!!!
उसकी सास भगवती की चार बेटियाँ और एक ही बेटा था । बेटे की मौत एक हादसे में हो गई थी । पति तो पहले ही गुजर गए थे परंतु अपने पीछे बहुत सारी जायदाद छोड़ गए थे । पति ने अपनी जायदाद भगवती के नाम पर ही ख़रीदा था क्योंकि उन्हें लगता था कि वह उनके लिए लकी है । बेटा जब तक था सब कुछ ठीक चल रहा था जैसे ही बेटे की मौत हुई सब कुछ बिखर गया था ।
भगवती की अपनी बहू से पहले ही से नहीं पटती थी दोनों के बीच छत्तीस का आँकड़ा था । अब बेटे के गुजर जाने से बहू चुपचाप अपने में सिमट गई थी । भगवती को कुछ सूझता नहीं था तो अपना समय अपनी बेटियों से बतियाते हुए उन्हें घर की बातें बताते हुए बिताने लगी ।
बेटियाँ माँ की इस हालत का फ़ायदा उठाने लगीं क्योंकि उन्हें मालूम था कि माँ कान की कच्ची है और बेटे के ना होने से और भी कमजोर हो गई है । उनके लिए अब बेटियाँ ही उनकी जान हो गई थी । भगवती और बेटियाँ मिलकर रोशनी की बुराई करते हुए नहीं थकती थीं ।
रोशनी सोचती थी कि अपनी ज़िंदगी के पच्चीस साल मैंने इन लोगों को दिए हैं । तीज , त्योहार, शादी-ब्याह हर समय मैंने इन ननंदों का साथ दिया था । उनके आगे पीछे घूमते हुए उनके सारे काम किए हैं। आज भाई के गुजरते ही उन्होंने मुझे और मेरे बेटे को पराया कर दिया है कभी-कभी दिल करता है उनसे पूछूँ कि आप लोग पुरानी बातों को भुलाकर ऐसे कैसे रिश्तों की उपेक्षा कर सकते हैं । वह उनके मुँह नहीं लगना चाहती थी ।
अब भगवती की बेटियों ने माँ को बहला फुसलाकर अपने पास बुलाने का प्लान बना लिया ।
रोशनी के भाइयों ने कहा कि कोर्ट में केस दर्ज कर देते हैं ताकि तुम्हारी सास भावनाओं में बहकर बेटियों के नाम पर सब कुछ ना कर दें ।
उसकी नौबत नहीं आई चारों बहनों ने माँ को समझाया और घर , दुकान और छोटी मोटी रक़म भाभी को दिला दिया । माँ को हम सँभाल लेंगे आपको फ़िक्र करने की ज़रूरत नहीं है कहते माँ को अपने साथ लेकर चले गए । इस तरह रिश्तों की उपेक्षा करते हुए उन्होंने हमेशा के लिए भाभी भतीजे से नाता ही तोड़ लिया था ।
स्वरचित
के कामेश्वरी
साप्ताहिक विषय- #उपेक्षा