ऊंची सोच – रीटा मक्कड़

मल्होत्रा जी अपनी बिटिया अनिता के लिए सुयोग्य रिश्ते की तलाश कर रहे थे। उनकी पढ़ी लिखी, सुंदर और हर काम मे निपुण बेटी के रिश्ते में बस एक बात से अड़चन आ रही थी। वो ये कि बचपन मे गर्म दूध पड़ने से उसकी एक बाजू जल गई थी। जख्म इतने गहरे थे कि वो अपने निशान ज़िन्दगी भर के लिए छोड़ गए। 

अनिता हमेशां फुल बाजू के ही कपड़े पहनती थी। परंतु शादी जैसे अवसर पर तो ये सब कुछ बता कर ही रिश्ते किये जाते हैं।पहले भी एक दो जगह इसी वजह से रिश्ता होते होते रह गया था। क्योंकि कुछ लोगों की सोच इतनी छोटी होती है कि उनके सामने लड़की की एक छोटी सी कमी बाकी सब गुणों पर भारी पड़ जाती है।

मल्होत्रा जी के एक दोस्त थे शर्मा जी। एक दिन दोनो मार्किट में मिल गए। एक दूसरे का हाल चाल पूछने के बाद जब बच्चों के बारे में पूछा तो मल्होत्रा जी ने बोला कि वो बेटी के लिए एक अच्छे वर की तलाश कर रहे हैं। तब शर्मा जी बोले कि उनकी नजर में एक बहुत अच्छा लड़का है । पढ़ी लिखी फैमिली है और बहुत अच्छे लोग हैं।

नियत दिन लड़के वाले लड़की देखने आ गए।परिवार वाले जब लड़की से मिल लिए तो उन्होंने लड़के लड़की को बात करने के लिए अलग बैठा दिया। तब अनिता ने लड़के से कहा कि आप चाहें तो देख सकते हैं कि मेरी बाजू पर जलने के निशान हैं।लेकिन लड़के ने बोला कि नही ऐसी बात कभी दोबारा मत करना। मुझे इस बात से कोई फर्क नही पड़ता कि तुम्हारी बाजू पर कोई निशान हैं।क्योंकि तुम बिल्कुल वैसी लड़की हो जैसी मेरी पसंद है।

दोनो जब वापिस आये तो लड़के के पापा ने कहा कि हमे लड़की पसंद है। आप मुँह मीठा करवाइए। 

अनिता के पापा बोले कि उससे पहले मैं चाहता हूं कि कल को बाद में कोई बात हो …आप बिटिया की बाजू के बारे में जान ले तो ही ठीक रहेगा।

लड़के के पापा ने कहा..मल्होत्रा साहब एक बात बताएं कल को अगर ऐसी कोई घटना शादी के बाद हो जाये तो क्या हम अपनी बहू को छोड़ देंगे…कभी नही।बचपन में हुई एक दुर्घटना के लिए बेटी का क्या दोष है जो हम उसके भविष्य का फैसला उस आधार पर करेंगे।

मल्होत्रा जी ने ये सुनकर लड़के के पापा को गले लगा लिया। 

उसके बाद सब एक दूसरे का मुंह मीठा करवा रहे थे।

मौलिक स्वरचित

रीटा मक्कड़

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