टू स्टेट

राधिका और कुशल की एक लव मैरिज शादी हुई थी. राधिका राजस्थानी परिवार से थी और वहां अपनी पत्रकारिता  की पढ़ाई करने के लिए दिल्ली आई हुई थी. और कुशल का परिवार एक पंजाबी परिवार था. ऐसे में कुशल और राधिका एक ही कॉलेज में पढ़ते थे और वही उनको एक दूसरे से प्यार हो गया. परिवार की सहमति से उनकी शादी भी हो गई. शादी के बाद राधिका एक राजस्थानी परिवार से थी. और एक पंजाबी परिवार में कैसे रही थी चलिए देखते है,

“आज तुमने खाने में क्या बनाया है बहु?”

“जी माजी, आज मैंने गट्टे की सब्जी और दाल बाटी चूरमा बनाया है… वह भी देसी घी डालकर!”

“ठीक है चलो अब खाने में नया-नया स्वाद मिलेगा पराठा खाकर तो हम थक गए है!” ससुरजी बोले.

राधिका राजस्थानी पकवान बनाकर अपने सास, ससुर और पति को खोलती है. और ससुराल वालों को भी वह खाना खूब अच्छा लगता है. पहले तो सास को भी पसंद आता है, लेकिन हर रोज तो एक जैसा खाना कैसे खा सकते है. पर अब तो रोज का ही हो गया था राधिका राजस्थानी पकवान ही बनाती. ऐसे में एक दिन सास बोली,

“बहू राधिका यह क्या हर दिन बस तेरे राजस्थानी पकवान खा कर कर तो अब मन भर गया है हमारा… कभी राजमा चावल पराठे भी बना दिया कर…”

“मैं बना तो लेती लेकिन मैंने कई बार कोशिश की जैसा आप बनाती है वैसा मेरे हाथों में पंजाबियों वाला टेस्ट नहीं आ रहा था इसलिए मैं क्या करूं!”

उधर से ससुर और पति खाने की टेबल पर बैठते है. वह राधिका के बनाए राजस्थानी पकवान खाकर तारीफ करते है. वह कहते है कि उन्हें तो राजस्थानी पकवान बहुत अच्छा लगने लगा है. अब वह पंजाबी खाना भूल ही गए है. अपने पति और बेटे की बात सुन सास अपना मुंह टेढ़ा कर लेती है. लेकिन फिर क्या करती वह कुछ बोलने ही जाती है की उधर सास को किसी का फोन आता है और फोन पर सास की बहन होती है यानी कि कुशल की मासी.



फोन पर कहती है,

“सुजाता घर में सब कैसे है? सब ठीक है ना? मैंने तुझे यह खबर देने के लिए फोन किया है कि बेटी कविता का रिश्ता तय हो गया है. दरअसल उसे भी एक लड़के से प्यार हो गया था और लड़का भी राजस्थानी परिवार से है…”

“अच्छा राजस्थानी परिवार से है! फिर तो क्या हमारी बेटी शादी करके राजस्थान चली  जाएगी? अरे तू बात ही मत कर शादी करके राजस्थान रहना मतलब इतना लंबा घूंघट डाल कर इधर-उधर घूमना… हमारी बेटी कविता कैसे रह पाएगी!”

“अच्छा दीदी आपको कैसे पता?”

“भूल गई क्या मेरी बहू भी तो राजस्थानी परिवार से है 

“लेकिन ऐसा नहीं है दीदी, अनमोल का परिवार मॉर्डन है और वैसे भी शादी के बाद कविता और अनमोल शहर में ही रहने वाले है. शादी बस राजस्थान में उनके रस्मो रिवाज से होने वाली है. और सुना है वहां डेस्टिनेशन वेडिंग करने वाले है तो आपको शादी के एक महीने पहले ही आ जाना होगा”



राधिका का परिवार डेस्टिनेशन वेडिंग के लिए राजस्थान आखिर पहुंच जाता है. और ऐसे में वहां पंजाबी परिवार राजस्थानी परिवार से एकदम अलग ही दिख रहा था. एक दिन  सुजाता यानी राधिका की सास की बहन कहती है,

“अरे मैं तो बहुत परेशान हूं क्या बताऊं दरअसल लड़के की बुआजी पक्की राजस्थानी है… कविता के पिता ने सारा राजस्थानी पकवान बनवाया तो है, लेकिन उन्हें बाहर का खाना पीना पसंद नहीं इसलिए वह घर का बना हुआ राजस्थानी खाना ही खा सकती है… अब हम क्या करें!”

ऐसे में राधिका कुछ बोलने ही जाती है कि सास राधिका को चुप करा देती है,

“अरे बहु तुम बड़ों के बीच में क्यों बोल रही हो तुम अपना अलग से काम देखो… हम यहां पर कुछ चर्चा कर रहे है!”

“अरे क्या तुम भी भूल जाती हो हमारी बहू भी तो एक राजस्थानी परिवार से है उसे तो राजस्थानी पकवान कितना अच्छा आता है!” ससुर बोले.

“हां माजी, मैं वही तो बोलने जा रही थी कि मैं बना दिया करूंगी उसकी चिंता आप मत कीजिए. फिर शादी की सारी तैयारियां शुरू होती है. और ऐसे में लड़की की बुआजी राधिका का बनाया हुआ राजस्थानी खाना खाकर खूब खुश होती है. और वह खाने की बहुत तारीफ करती है. जब उन्हें पता चलता है कि यह खाना राधिका ने बनाया है जो कि एक पंजाबी परिवार की बहू थी. ऐसे में लड़के की बुआजी राधिका की खूब तारीफ करती है,

“अरे वाह आपकी बहु तो  बड़ा स्वादिष्ट खाना बनाती है साक्षात अन्नपूर्णा है…

फिर क्या था, अब सास को अपनी बहू राधिका की तारीफ सुनकर उस पर गर्व महसूस करती है. जब पहले वह एक राजस्थानी बहू पाकर मुंह टेढ़ा करके घूमा करती थी, अब वह राधिका को पूरे दिल से अपनाती है और अब धीरे-धीरे उसे भी एक पंजाबी हो कर बाकी घरवालों की तरह ही राजस्थानी खाने की आदत हो चुकी थी.

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