तुम क्या अपने मायके जाने से पहले मुझसे इजाजत लेते हो? – डी अरुणा
- Betiyan Team
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- on Dec 24, 2022
नम्रता ने जल्दी-जल्दी 2/4 कपड़े बैग में डाले और कमरे से बाहर आई।अखबार पढ़ते पति संस्कार की नजर उस पर पड़ी। अरे कहां चली बैग लेकर ?
सैटरडे संडे ऐसे भी ऑफ है। मंडे भी छुट्टी है तो सोचा मायके 2 दिन के लिए घूम आऊं।
संस्कार आश्चर्य से उसे देखने लगे। अरे ऐसे अचानक कैसे ?ना तुमने बताया.. ना पूछा ?
पूछा… किससे पूछूं? नम्रता ,संस्कार से अधिक आश्चर्य होकर पूछी।
मुझसे…
तुम से क्यों ? तुम कभी पूछते हो अपने मायके जाने के लिए? बैग में 2/4 कपड़े डाल निकल पड़ते हो। कभी तो नहीं पूछा 2 दिन की छुट्टी है क्या मैं मायके हो आऊं?
जब तुम पूरे अधिकार से अपने मायके जा सकते हो तो, मुझे लगा मैं भी उसी अधिकार से मायके जा सकती हूं ….
बात यह हुई कि नम्रता ने 2 दिन की छुट्टियों में बीमार मां को देखने मायका जाना चाहा… पर संस्कार में मना कर दिया।
साल में एक बार ही बच्चों के साथ जाने की इजाजत थी वह भी गर्मियों की छुट्टियों में। जिस साल नहीं जा पाती.. सर्दी की छुट्टियों में जाना चाहती पर संस्कार कहता,” तुम्हारा मायका पहाड़ियों पर है। दिसंबर की कड़ाके की ठंड और ऊपर से घना कोहरा रहता है.. कहां बच्चों को लेकर जाओगी? उनकी तबीयत बिगड़ जाएगी। बस… जाना कैंसिल हो जाता।
बच्चे हॉस्टल चले गए ।नम्रता ने यह कदम उठाया ताकि संस्कार भी जान सके कि उसका भी लगाव अपने माता-पिता के प्रति उतना ही है जितना संस्कार का। संस्कार के अपने मायके जाने पर कोई नियम या प्रतिबंध नहीं। जब इच्छा होती मिलने चला जाता है।
नम्रता घर परिवार, बच्चों ,ऑफिस से बंधी ना निकल पाती है और ना ही सभी को परेशानी में डाल जाना ही चाहती थी ।पर संस्कार के रवैया को देख उसे सबक सिखाने का सोचा।
क्या माता-पिता के प्रति प्यार सिर्फ तुम्हारे दिल में है मेरे दिल में अपने माता-पिता के लिए कोई प्यार नहीं? मैं क्यों नहीं अपने माता-पिता से मिलने जा सकती? मुझ पर यह रोक-टोक क्यों ?मैं जानना चाहती हूं इस भेदभाव के बारे में …नम्रता ने बैग रखते पूछा
संस्कार समझ गया नम्रता की बातों को ।उसके दिल में उठते प्रश्नों को।
नम्रता को बिठाकर बोला,” माता पिता के प्यार में कोई भेदभाव नहीं। तुम अगर जाना चाहती हो तो जाओ। पर आगे से मैं भी इस बात का ध्यान रखूंगा। ताकि तुम्हारे मन में कोई प्रश्न ,भेदभाव उत्पन्न ना हो।
माता-पिता से मिलने की चाहत हर बच्चे में होती है चाहे वह किसी भी उम्र में क्यों ना हो ! माता-पिता से मिलने पर बंदिश लगाना क्या सही है ? बंदिश सिर्फ पत्नी पर क्यों? पति क्यों इस नियम का पालन नहीं करता? अगर पति भी इस नियम का पालन करें तो पत्नी के मन में तुलना की भावना नहीं आएगी।
बात को संभालते हल्का बनाने के उद्देश्य से संस्कार बोला तुम अकेली क्यों जाओगी, चलो मैं भी अपनी बीमार सासू मां से मिल जाऊं। साल भर से ऊपर हो गया उनसे मिले।
नम्रता सोचने लगी कभी-कभी पतियों को उनकी गलती की तरफ ध्यान आकर्षित करना बेहद जरूरी है वरना वह इस घमंड में रहेंगे कि वह जो कर रहे हैं सब सही कर रहे हैं।
डी अरुणा
धन्यवाद