तू मेरा सहारा है-मैं तेरा सहारा हूं – कुमुद मोहन 

अरे, नीता सुना तुने मंजु की बेटी जिया की शादी कितनी बढ़िया जगह तय हुई है। लड़का मुंबई की बहुत बड़ी कम्पनी का सी.ई.ओ है। सबसे बड़ी बात यह है कि वे लोग दहेज भी नहीं मांग रहे। अंजु ने एक सांस में नीता के आगे लड़के का बायोडाटा खोल कर रख दिया।

नीता- ये तो बहुत ही अच्छा हुआ। सच में जिया की तो किस्मत खुल गई। वैसे भी मंजु परेशान थी जिया की शादी में होने वाले खर्च को लेकर। अगले हफ्ते विकास के माता-पिता मंजू के घर बात करने आए। बहुत सभ्य और पढ़े लिखे लोग लगे।

उनका रहन-सहन और स्टैंडर्ड देखकर मंजू और उसके पति को आश्चर्य भी हुआ कि ये लोग क्यों हम मामूली लोगों के यहाँ रिश्ता करना चाहते हैं। मंजू के पति ने बार-बार उनसे पूछा कि आप की कोई डिमांड तो नहीं, हो तो हम पूरी नहीं कर पाऐंगे। पर उन्होंने साफ मना कर दिया कि हमें कुछ नहीं चाहिए।

फिर भी मंजू के पति ने अपना बजट बता दिया। विकास के माता-पिता ने मंजू के पति के बताए पैसे को फाईव स्टार होटल की बुकिंग और रिश्तेदारों को देने वाले सामान में खर्च करा दिया। जिया के लिए बस वही बचा जो मंजू के बहन-भाइयों ने गिफ्ट में दिया था।  मंजू को अच्छा नहीं लग रहा था उनका पैसा बेटी- दामाद के काम न आकर बेवजह के दिखावे में निपट गया,पर यही तसल्ली कर चुप रह गई कि चलो लड़का तो बढ़िया है।

खैर, जिया विकास की दुल्हन बन गई। पहले दिन से जिया ने महसूस किया कि विकास उससे कुछ कटा-कटा सा रहता। पहले तो उसने सोचा कि शायद यह विकास के इन्ट्रोवर्ट होने या कम बोलने की वजह हो।  जिया को समझ नही आ रहा था जब विकास औरों के साथ होता तो नार्मल सा बिहेव करता। बस जिया से बात करने को उसके पास कुछ नहीं होता।

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कभी कुछ कहता भी तो ये कि तुम्हारी ये ड्रेस अच्छी नहीं या तुम बाल छोटे करा लो। जिया बेचारी उसे खुश करने के लिए सब कर लेती।  जिया ने उसे कई बार कहा भी कि अगर वो उसे नहीं पसंद तो बता दें पर वो कुछ बोलता ही नहीं।   जिया को वहां एक नौकरी मिल गई जहां उसे कैश पैसा मिलता। विकास अपनी सैलरी से एक पैसा खर्च नहीं करता जिया के पैसे से ही घर चलता।   जितना भी खाना जिया बनाती वह पूरा खा जाता ये भी नहीं सोचता कि जिया बिना सब्जी दाल क्या खाएगी।

फिर पता चला जिया प्रेगनेंट है। जिया ने सोचा बच्चे के आने से शायद सब ठीक हो जाए।  उसे आश्चर्य तब हुआ जब विकास ने उसे अबॉर्शन के लिए अस्पताल ले गया और तो और जिया की सास ने भी कहा कि विकास कह रहा है तो अबॉर्शन करवा लो।  जिया और उसके मां बाप को समझ नहीं आया कि लाखों रुपए कमाने वाला  अमीर मां बाप की इकलौता बेटा अपनी पहली औलाद क्यूँ नहीं रखना चाहेगा। जिया अबॉर्शन के लिए  किसी हाल तैयार नहीं हुई।  

बेचारी अकेली डाक्टर के पास जाती उसे बड़ा दुख होता जब वह दूसरी महिलाओं को देखती कि कैसे उनके पति उन्हें पकड़कर उनके साथ आते। आस-पड़ोस के लोग भी यह देखकर दंग थे कैसे जिया बाज़ार से भारी-भारी सामान उठाकर लाती और विकास उसके खाने-पीने का बिल्कुल भी ख्याल नहीं रखता।

अनजान से शहर में जिया का कोई सहारा भी नहीं था!

जिया ने अपने और विकास के रिश्ते को बचाने की हर मुश्किल कोशिश की पर नाकाम रही।





विकास का रवैया देखकर जिया के पिता उसे अपने पास ले आए। डिलिवरी के वक्त विकास आया तो पर अन्कंसर्न सा।  दिन रात पड़ा रहता खाता-पीता। उसकी कंपनी से डिलीवरी का पैसा भी मिला पर उसने एक पैसा भी नहीं निकाला।  बेटी हुई, उससे विकास और उसके मां बाप को भी कोई लगाव दिखाई नहीं दिया। बाद में पता चला विकास को कोई मनोवैज्ञानिक समस्या है इसी वजह से बिना दहेज के सीधी सादी लड़की से शादी की थी। उसका इलाज चल रहा है।

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जिया और उसके माता-पिता ने डाईवोर्स का फैसला किया। बहुत लोगों ने कहा भी कि अकेले बच्ची को लेकर कैसे रहेगी।

जैसे भी हो विकास के साथ एडजस्ट कर ले,औरत का अकेले रहना बहुत मुश्किल होता है उसे हमेशा एक सहारे की जरूरत होती है और उसपर अगर वह तलाकशुदा हो तो लोग उसे अच्छी नज़र से नहीं देखते!

पर जिया ने एक पक्का इरादा कर लिया कि विकास जैसे सहारे से बेसहारा रहना ज्यादा बेहतर है,रोज रोज मरने से एकबार फैसला लेना सही है।

विकास के मां-बाप ने भी जिया को बेटी होने की वजह से यह सोचकर चुप्पी साध ली कि लड़की की जिम्मेदारी वो क्यों उठाऐं!अच्छा है पीछा छूटेगा!बेटे की दूसरी शादी कर देगे!

जिया और उसके मां-बाप ने हिम्मत करके बिना एलेमनी लिए पीछा छुड़वाया। उन्होंने जिया को अपने पैरों पर खड़े होने की हिम्मत दी। पूरा सपोर्ट दिया, लोग क्या कहेंगे इसकी परवाहन करते हुए जिया को सहारा दिया।  जब कोई पूछता कि तुम जैसी अच्छी लड़की को कैसे कोई छोड़ सकता है? तो जिया का यही जवाब था, उसने मुझे नहीं -मैंने उसे छोड़ा है।

अब सिया की जिंन्दगी का सिर्फ एक हक मकसद था किसी तरह अपनी बेटी को बडा कर उसके पैरों पर खडा कर सके!

जिया अपने मां-बाप पर बोझ नहीं बनी बल्कि उसने अपनी नौकरी से अपनी बेटी और मां-बाप के बुढ़ापे का सहारा बनकर पीछे मुडकर नहीं देखा!

वक्त गुजरता गया जिया के कंधे झुकने लगे,आंखों के दिये धीमे पड़ गए,वालों में चांदी के तार झलकने लगे!   वह अजन्मी सिया जिसे दुनिया में लाने से पहले उसका निर्दयी पिता जिस हस्पताल में उसकी मां को लेकर गया था आज उसी अस्पताल में  वह शहर की जानी मानी डाक्टर बन अपनी मां का सहारा बन गई थी!

#सहारा 

कुमुद मोहन 

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